आखिर क्या है आईएनएक्स मीडिया मामला?

“क्या आप जानते हैं” कॉलम के लिए…

पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को लंदन से भारत लौटते ही गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ़्तारी आईएनएक्स मीडिया केस के सिलसिले में हुई है। अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर आईएनएक्स मीडिया केस क्या बला है और इसमें कार्ति की भूमिका क्या है, तो हम आपकी इस जिज्ञासा को शांत करने जा रहे हैं:

ऐसे समझिए
आईएनएक्स मीडिया पीटर और इंद्राणी मुखर्जी के स्वामित्व वाली मीडिया कंपनी थी। इस कंपनी ने फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (FIPB) से 13 मार्च, 2007 को कुछ क्लयरेंस मांगी थीं। कंपनी ने ड्यूअर्न, एनएसआर पीई और न्यू वेरॉन प्राइवेट इक्विटी लिमिटेड के लिए 14.98 इक्विटी शेयरों का आवंटन करना, टीवी चैनल बनाने, उसके संचालन और टीवी चैनलों के प्रसारण का एक समूह बनने की अनुमतियां भी मांगी थीं। हालांकि एफआईपीबी ने साफ कर दिया था कि निवेश के लिए फेस वैल्यू पर 4.62 करोड़ रुपए के FDI की अनुमति दी जा सकती है और आईएनएक्स न्यूज के लिए अलग से एफआईपीबी से मंजूरी लेनी होगी।

क्या किया कार्ति ने
अब आरोप है कि कार्ति ने यह मंजूरी दिलाने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। यह भी आरोप लगाया गया है कि मंजूरी के ऐवज में कार्ति को मोटी रकम दी गई। साथ ही आईएनएक्स मीडिया ने एफआईपीबी की मंजूरी पाने के नियमों एवं शर्तों का उल्लंघन किया। प्रवर्तन निदेशालय का यह भी आरोप है कि आईएनएक्स मीडिया ने अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिए 305 करोड़ रुपए जुटाए और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए उसने कार्ति चिदंबरम के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची।

और भी मामले
सीबीआई के मुताबिक आईएनएक्स मीडिया के रिकॉर्ड कहते हैं कि उसने 10 लाख रुपए एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग (पी) लिमिटेड को दिए। इस कंपनी पर अप्रत्यक्ष रूप से स्वामित्व कार्ति का है। हालांकि, चिदंबरम ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है। ईडी ने इन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (ईसीआईआर) के तहत कार्ति चिदंबरम, आईएनएक्स मीडिया और उसके निदेशकों के खिलाफ एक अलग से मामला दायर किया।

एयरसेल-मैक्सिस केस
दरअसल, कार्ति चिदंबरम का नाम आईएनएक्स मीडिया केस के अलावा एयरसेल-मैक्सिस केस से भी जुड़ा है। मार्च 2006 में मलेशिया की कंपनी मैक्सिस कम्यूनिकेशन ने एयरसेल में 74% हिस्सेदारी खरीदी थी। मई 2011 में एयरसेल के संस्थापक सी. शिवशंकरण ने सीबीआई में एक शिकायत दर्ज करवाई और कहा कि उन पर अपने शेयर मैक्सिस को बेचने का दबाव बनाया जा रहा है।

पहली बार बढ़ाया दायरा
अक्टूबर 2011 में सीबीआई ने मारन बंधुओं (दयानिधि और कलानिधि मारन), मैक्सिस के मालिक टी. कृष्णन एवं अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया और दयानिधि मारन के आवास पर छापेमारी की। फरवरी 2017 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने मारन और अन्य को आरोपों से मुक्त कर दिया। दिसंबर 2015 को पहली बार एयरसेल-मैक्सिस केस की जांच का दायरा बढ़ाते हुए टैक्स अधिकारियों और ईडी ने कार्ति चिदंबरम के कुछ कारोबारी सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की।