आधुनिक सेना अब होगी हथियार मुक्त

डीआरडीओ के निदेशक वेंकटेश परलीकर ने ‘ सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी’ परिषद के उद्घाटन मौके पर कहा
पुणे : १० फरवरीः सूचना और संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र की तकनीक में तेजी से वृद्धि हो रही है. ऐसे में आधुनिक सैन्य जल्द ही हथियार मुक्त होगे. उचित परंपरागत युद्ध प्रथाओं में भी नई तकनीक के विभिन्न आयामों में लाया जा रहा है. जिसके चलते आधुनिक सैन्य हथियार मुक्त होंगे. ऐसे विचार डीआरडीओ के निदेशक वेंकटेश परलीकर ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी २०१८ के अंतर्राष्ट्रीय परिषद के उद्घाटन पर कहा.
 एमआइटी तथा एमआइटी विश्‍व शांति विश्‍वविद्यालय (एमआइटी डब्यूपीयू) की ओर से ‘सूचना तथा संपर्क प्रौद्योगिकी’ (इन्र्फेमेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी-आइसीटी) विषय पर १० तथा ११ फरवरी को आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय परिषद में पर्सिस्टेंट सिस्टम के प्रिंसिपल आर्किटेक्ट पुरूषोत्तम दर्शनकर, एमआइटी के प्राचार्य डॉ.एल.के.क्षीरसागर, एमआइटी के उपप्राचार्य डॉ. प्रसाद खांडेकर, एमआइटी कॉलेज ऑफ इंजिनियरींग के प्राचार्य अनिल हिवाले और सूचना तकनीक विभाग प्रमुख प्रा. सुमेधा सिरसीकर आदी उपस्थित थे.
वेंकटेश परलीकर ने कहा, भविष्य में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र को भारत संचालित करेगा. विकसनशील देशों में सूचना और प्रौद्योगिकी के चलते काफी विकास हो रहा है. सेना में प्रौद्योगिकी की भूमिका के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मिलेट्री में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. हम सभी जानते है कि सेना में अहम जानकारी हासिल करने के लिए सबसे पहले इंटरनेट को विकसित किया गया था. परंतू आज हमारे पास कीडे और पक्षियों के आकार के ड्रोन है. साथ ही रिमोट सेन्सिंग की सुविधाएं ,लडाई टैंकों और नौसेना के जहाजो में सटीक लक्ष्य सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के बिना हासिल नहीं किया जा सकता है. हम प्रौद्योगिकी की सहायत से मानव रहित वाहनों का निर्माण कर रहे है. एक ओर सरकार भी डिजिटल प्रोजेक्ट के लिए सराहनिय कदम उठा रही है. यह सरकार डिजिटल भारत पर ध्यान केंद्रित कर रही है. साथ ही नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त करने का प्रयास कर रही है. सरकार ने डिजिटल पहल, विशेष रूप से कृषि, हेल्थकेयर और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सराहनिय कार्य किया है.
पुरूषोत्तम दर्शनकर ने कहा, लोगों के घर तक टीवी को पहुंचाने के लिए सालों लग गए. साथ ही रेडियों को भी जन जन तक पहुंचाने के लिए ३८ साल बीते गए. ऐसे में वर्तमान में एक भारतीय उदाहरण लेते है तो तीन माह में जियो सिम लगभग लाखों भारतीयों के हाथों में था. यह सब संभव हुआ प्रौद्योगिकी के प्रसार से. आने वाले समय में तकनीक के रूझान और चीजों के आर्टिेफिशय इंटेलिजेंस और इंटरनेट की भूमिका में गहरा गोता लगाया है.
आए दिन सूचना तथा संपर्क तकनीक को अधिक महत्व मिल रहा है. तकनीकी इस्तेमाल से ज्ञानाधारित माहौल का निर्माण कर मानव जाती के जीवन स्तर का उंचा उठाने की जादूआइसीटी के माध्यम से हो रही हैै.
 परिषद का मुख्य उद्देश्य यही है कि सूचना तथा संपर्क तकनीक पर अमल करते हुए लगातार सृजनशील विकास साधने पर चर्चा करना है. आइटीसी क्षेत्र में लगातार निर्माण होनेवाली नई नई संकल्पना, सुधारित पद्धति और सूचना तथा संपर्क तकनीक का इस्तेमाल आदि बातों के साथ चुनौतियां एवं खामियों पर चर्चा होगी. इसमें रोबोटिक्स, आइओेटी, वेब सिक्योरिटी, कॉग्निटिव कोलॅबोरेशन और डाटा माइनिंग विषय पर चर्चा हुई.
कार्यक्रम की प्रस्तावना प्राचार्य डॉ.एल.के.क्षीरसागर ने रखी. सूत्रसंचालन प्रा. बेला जोगलेकर ने किया. डॉ. प्रसाद खांडेकर ने आभार माना.