कर्ज में डूबी एयर इंडिया को क्या मिलेगा खरीदार?

नई दिल्ली: घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया के एक बड़े हिस्से को बेचने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। सरकार इस दिशा में आगे बढ़ने का मन बना चुकी है और वह किसी भी सूरत में कदम वापस खींचेगी, इसकी संभावना न के बराबर है। काफी समय पहले ही सरकार ने यह साफ़ कर दिया था कि वह घाटे में चल रही एयर लाइन का खर्चा उठाने के मूड में अब बिल्कुल नहीं है। सरकार एयर इंडिया के 76% हिस्से को बेचेगी, सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर उसे खरीदेगा कौन? क्योंकि एयर इंडिया फ़िलहाल 50 हज़ार करोड़ के कर्ज में डूबी है। और ज़ाहिर है कर्ज की ये भारी राशि खरीदार के खाते में जाएगी।

बदल गई तस्वीर
किसी ज़माने में एयर इंडिया देश की इकलौती एयरलाइंस हुआ करती थी, तमाम प्राइवेट एयरलाइंस के बाजार में उतरने के बाद वह पिछड़ती चली गई। खराब सेवा और बार-बार कैंसल होने वाली उड़ानों के चलते यात्रियों ने दूसरी एयरलाइंस कंपनियों की ओर रुख और एयर इंडिया का घाटा बढ़ता गया। साल 2007 से इसे कारोबार में कोई फ़ायदा नहीं हुआ है। जबकि भारत में हर साल 20% की दर से हवाई यात्री बढ़ रहे हैं।

क्या-क्या बिकेगा?
एयर इंडिया एयरलाइन के प्रमुख करोबार का 76% हिस्सा, एलायंस एयर यानी इसकी क्षेत्रीय शाखा, एयर इंडिया ट्रांसपोर्ट सर्विसेज़ और एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज़ लिमिटेड।

कौन जीतेगा दौड़?
अंतरराष्ट्रीय वायुमार्गों पर एयर इंडिया का अच्छा-ख़ासा हिस्सा है, जो खरीदार के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें लंदन का हीथ्रो और न्यूयॉर्क का जेएफ़के हवाई अड्डा भी शामिल है। खरीदारों की फेरहिस्त में इंडिगो से लेकर विस्तारा और जेट एयरवेज जैसे बड़े नाम शामिल हैं। लेकिन कोई भी अब तक ठोस निर्णय नहीं ले सका है, इसकी वजह है एयर इंडिया का घाटा। पहले क़तर एयरवेज भी संभावित खरीदारों की लिस्ट में शामिल था लेकिन बाद में इस तरह की किसी भी संभावना से इनकार कर दिया।

कुछ दिलचस्प बातें, जो आप नहीं जानते होंगे
बहुत कम लोग ही जानते हैं कि एयर इंडिया पहले ‘टाटा एयरलाइंस’ थी और आज़ादी के बाद यानी 1947 में इसकी 49% भागीदारी सरकार ने ले ली थी। एयर इंडिया की पहली अंतरराष्ट्रीय उड़ान 8 जून, 1948 को लंदन के लिए थी। एयर इंडिया ने अब तक सबसे ज़्यादा लोगों को सुरक्षित एयरलिफ़्ट कराया है। 1990 में इराक ने जब क़ुवैत पर हमला किया तब 59 दिनों के भीतर 10 लाख से ज़्यादा भारतीयों को एयर इंडिया के 488 विमानों से सुरक्षित भारत पहुंचाया गया।