गुरुकुल में मिलेगी सृजनात्मता व नवनिर्मिती की शिक्षा

विश्‍वशांती गुरुकुल सीबीएसई आलंदी शाखा का उद्घाटन

पुणे: पुणे समाचार

वर्तमान शिक्षा केवल परिक्षार्थी होना सीखाती है जिससे वास्तव में छात्रों को सिखने जैसा कुछ भी नही मिलता है। इसलिए सृजनात्मकता व नवनिर्मिती की शिक्षा परोसने का कार्य स्कूली स्तर पर यांनी गुरुकुल शिक्षा के माध्यम से होना आवश्यक है। यह विचार नालंदा विश्‍वविद्यालय के कुलपति पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर ने रखे।

एमआईटी के विश्‍वशांति गुरुकुल सीबीएसई शिक्षा संस्था के केलगाव-हनुमानवाडी, आलंदी (देवाची) शाखा के उद्घाटन पर बतौर मुख्य अतिथि वे बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआइटी विश्‍व शांति यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ.विश्‍वनाथ दा. कराड ने की।

इस समय फिल्म निर्माता डॉ. जब्बार पटेल, यूपीएससी के पूर्वध्यक्ष डी.पी. अग्रवाल, शिवचरित्रकार नितिन बानगुडे-पाटिल, श्री संत तुकाराम महाराज संस्था के पूर्वध्यक्ष बापूसाहब मोरे देहूकर, आलंदी की नगराध्यक्ष वैजयंती कांबले तथा राहुल कलाटे उपस्थित थे। साथ ही एमआईटी विश्‍व शांति यूनिवर्सिटी के कार्याध्यक्ष प्रा. राहुल विश्‍वनाथ कराड, एमआईटी एडीटी विश्‍वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश तु. कराड, विश्‍व शांति गुरुकुल की शिक्षा संचालिका तथा प्राचार्या के.पी. शशिकला, विश्‍वशांति गुरुकुल के परियोजना संचालक आनंद देवधर तथा एमआईटी विश्‍व शांति विश्‍वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रा.डी.पी. आपटे उपस्थित थे।

डॉ. विजय भटकरने कहा, सारे विश्‍व की आद्य संस्कृति भारतीय संस्कृति है। यहाँ गुरुकुल शिक्षा पद्धति में विद्यार्थीयों को ढाला जाता था। लेकिन मेकाले ने इसे खत्म कर दिया। अब फिर से वह समय आ गया है कि गुरुकुल का पूर्नउत्थान हो। ऐसी शिक्षा पद्धति पर चिंतन होना भी जरूरी है। २१वीं सदी भारत की होने से स्कूली शिक्षा स्तर पर आमूलाग्र क्रांति लानी होगी। ऐसा केवल गुरुकुल शिक्षा पद्धति से ही संभव होगा।

प्रा.डॉ.विश्‍वनाथ दा. कराड ने कहा, गुरुकुल में विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय से छात्रों का सर्वांगिण विकास होगा। यहाँ छात्रों में कूटकूट कर स्वाभिमान भरा जाएगा। उन्हें चरित्रवान एवं सर्वगुण संपन्न मानव बनाने का प्रयास होगा।

डी.पी. अग्रवाल ने कहा, गुरुकुल में गुरु का अलग दर्जा होता है। जो स्कूलों में नहीं होता है। माँ हमें प्रेम सिखाती है परंतु गुरुकुल शिक्षा पद्धति में गुरु के जरिए छात्रों को परिपूर्ण बनाने का प्रयास होता। यहां से पढाई करने वाले छात्रों के जरिए देश में नई क्रांति आ सकती है। गुरुकुल में ज्ञान को इक्कठा करने पर जोर देने के साथ छात्रों को स्वतंत्रता देकर शिक्षा ग्रहण करने की छूट दी जाती है।

डॉ. जब्बार पटेल ने कहा, प्रकृति की गोद में गुरुकुल की संकल्पना रखी गई है। यहाँ गुरु के सानिध्य में छात्रों का भविष्य निर्माण होगा। माँ से हमें प्यार मिलता है लेकिन गुरु जीवन की शिक्षा देता है। यहाँ छात्रों को मानवतावादी एवं सहिष्णु बनाया जाएगा। पारंपारिक शिक्षा के साथ ही छात्रों के सुप्त कला गुणों को पहचानकर उनका विकास साधेंगे।

बापूसाहेब मोरे देहूकर ने कहा, सच्चे अर्थ में विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय से शिक्षा देना महत्वपूर्ण है। मानवता को जिन्दा रखने के लिए गुरुकुल शिक्षा पद्धति ही सबसे महत्वपूर्ण है। वर्तमान दौर में युवा पिढ़ी को सही राह पर लाने के लिए गुरुकुल शिक्षा महत्वपूर्ण है। उसी के आधार पर भारत महासत्ता बनकर उभरेगा। यहाँ मूल्यवर्धित शिक्षा के साथ जीवनशास्त्र सिखाया जाएगा।

नितिन बानगुडे पाटिल ने कहा, चील जैसी ऊँची उड़ान भरने के लिए बच्चों को उनके अनुभव लेने दो। माँ ही हर बच्चे की पहली स्कूल होती है। उनके निर्माण में माँ का ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। माँ जिजाबाई ने सिखाए शिक्षा के बदौलत ही शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व निर्माण हुआ । वर्तमान दौर में विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय से शिक्षा को परोसना जरुरी है। छात्रों में आत्मविश्‍वास निर्माण करना होगा.।उन्हें जीवशास्त्र के साथ जीवनशास्त्र की शिक्षा देकर नई पिढ़ी तैयार करनी है।

प्रा. राहुल विश्‍वनाथ कराड ने कहा, यहाँ अनूठे छात्र तैयार किए जाएंगे। नया दृष्टिकोण रखते हुए एक आदर्श व्यक्ति के साथ मजबूत एवं भावनात्मक बनाया जाएगा। आनेवाले समय में यह स्कूल देश में रोल मॉडेल के रूप में उभरकर आएगा।

के.पी.शशिकला ने स्वागत भाषण में कहा, भारतीय संस्कृति के साथ छात्रों का शारीरिक एवं मानसिक विकास पर जोर दिया जाएगा। भारतीय मूल्यों के आधार पर सर्वगुण संपन्न छात्र तैयार करने का प्रयास करेंगे।

सूत्र संचालन प्रा. गौतम बापट ने किया व डी.पी आपटे ने आभार माना।