‘जब पत्थर फेंके जा रहे थे, उस समय कोई क्यों नहीं आए राहुल?’

 नई दिल्ली, 5 मार्च (आईएएनएस)| पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हिंसा प्रभावित उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दौरे के अगले दिन गुरुवार को स्थानीय लोग पूछ रहे हैं कि राहुल उस समय क्यों नहीं आए, जब उनके घरों पर पत्थर फेंके जा रहे थे।

  राहुल गांधी ने बुधवार को बृजपुरी इलाके का दौरा किया था, जहां उपद्रवियों ने एक स्कूल में आगजनी व तोड़फोड़ की थी। बृजपुरी की एक महिला विमलेश ने कहा, “हमने वह मंजर देखा है, जब पांच-पांच सौ लोगों की भीड़ हाथों में पत्थर लिए हमारी तरफ दौड़ रही थी। हिंसा पर उतारू लोगों ने हम पर और हमारे घरों पर पत्थर फेंके, उस समय कोई क्यों नहीं आया?”

इस महिला का कहना है कि जब राहुल गांधी के यहां पहुंचे थे, उस समय उन्होंने उन तक पहुंचने की कोशिश भी की थी, हालांकि वह सफल नहीं पाईं।

विमलेश ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सोनिया गांधी के बयानों का भी विरोध किया। उन्होंने कहा, “नेताओं द्वारा दिए गए ऐसे बयानों से ही हालात बिगड़े हैं।”

विमलेश के अलावा उनके पड़ोसी महेश कचोलिया ने भी हिंसा के दौरान नेताओं की ओर से से कोई मदद न मिलने की बात कही। महेश ने कहा, “तीन दिन तक यहां तांडव चलता रहा, लेकिन तब किसी ने हमारी सुध लेने की नहीं सोची।”

हिंसा का शिकार हुए बृजपुरी के अरुण पब्लिक स्कूल में पहुंचने पर राहुल गांधी ने कहा था, “यह स्कूल हिंदुस्तान का भविष्य है और नफरत एवं हिंसा ने केवल एक स्कूल की इमारत को नहीं, बल्कि देश के भविष्य को जलाया है। नफरत और हिंसा फैलाने वाले लोग तरक्की के दुश्मन हैं। ऐसी हरकतों से लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है। आज यह दुख का समय है, इसलिए मैं यहां आया हूं। हालात को फिर से ठीक करने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा।”

उन्होंने यह भी कहा था, “देश की राजधानी में हुई इस हिंसा से दुनिया के सामने देश की प्रतिष्ठा को चोट पहुंची है।”

राहुल के साथ लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सवाल उठाया था, “इस हिंसा से लोगों का विश्वास आहत हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह अभी तक यहां क्यों नहीं आए?”

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सीएए समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़प होने के बाद शुरू हुई थी। सैकड़ों महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के सामने सड़क को घेरकर धरने पर बैठी हुई थीं। उन्हें हटाने के लिए भाजपा नेता कपिल मिश्रा अपने समर्थकों के साथ यहां पहुंचे थे। बाद में इस विवाद ने बड़ी हिंसा का रूप ले लिया।