जीएसटी की वजह से देश में विकास को बढावा मिलेगा : अभय तिलक

इंद्रायणी काॅलेज में ‘गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स’ पर चर्चासत्र का उद्घाटन 

पिंपरी: हाल में गुड्स एेंड सर्विसेज टैक्स 5 से 28 प्रतिशत तक है लेकिन भविष्य में टैक्स 12 से 18 फिसदी तक कम हो सकता है. एेसा होने पर देश के माल को वैश्विक स्तर का मार्के मिल सकता है. नतीजन भारत की स्पर्धक क्षमता बढ़कर देश दुनिया के अन्य विकसित देशों से स्पर्धा कर सकेगा. यह कहना है वरिष्ठ इकोनोमिस्ट डाॅ. अभय तिलक का.

इंद्रायणी काॅलेज के स्वर्ण महोत्सवी वर्ष के मौके पर सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ और इंद्रायणी काॅलेज के इकोनाॅमी डिपार्टमेंट की ओर से जीएसटी को लेकर राष्ट्रीय चर्चासत्र का आयोजन किया गया. दो दिवसीय चर्चासत्र का उद्घाटन डाॅअभय तिलक के हाथों हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक कृष्णराव भेगडे ने की. इस मौके पर काॅलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी.डी. बालसराफ, उप प्राचार्य डॉ. एस.के. मलघे, संयोजक डॉ. एस. एस. मेंगाल, विभाग प्रमुख प्रा. के.व्ही. अडसूल, डॉ. एस.के. सानप आदि गणमान्य मौजूद थें.

डाॅ. अभय तिलक ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में जीएसटी टैक्स सिस्टम महत्वपूर्ण है. विकसित देशों में इसका अमल काफी पहले हो चुका है. हमारे देश में 13वें वित्त आयोग की सिफारिश के बाद इस टैक्स सिस्टम को लागू किया गया है. इससे भारत में किसी भी राज्य में उत्पादित होने वाली चीजों की कीमत पूरे देशभर में एक ही होगी. औद्योगिक विकेंद्रीकरण को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिलने के लिए मदद होगी. पिछले 30 सालों में चीन में मानव संसाधन बडे पैमाने पर उपलब्ध होने से मजूदर कम पगार में मिलते थे इसलिए चायना में बनाई जाने वाली चीजों की प्रोडक्शन काॅस्ट कम थी नतीजन ग्लोबल मार्केट में चायना के चीजों की कीमते कम रहती थी. लेकिन अब चायन में कामगारों की सैलरी ज्यादा है इसलिए चीन का महत्व ग्लोबल मार्केट में कम हो रहा है. भारतीय अर्थ व्यवस्था सेवाभिमुख है.

डाॅ. तिलक ने कहा कि खेती, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्यम आदि को लेकर जो जिम्मेदारियां हैं उसे राज्य को पूरा करना चाहिए. लेकिन राज्यों के आर्थिक क्षमता नहीं होती. इसलिए राज्यों को केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है. एेसे में राज्य सरकार के सामने सुधार करने के लिए बड़ी चुनौती होती है लेकिन जीएसटी की वदह से राज्यों को देश के भीतर ही मार्केट उपलब्ध हुआ है. इससे राज्यों के विकास को बढ़ावा मिलेगा.

कृष्णराव भेगडे ने कहा कि देश में एक प्रतिशत लोगों के पास 73 फिसदी संपत्ति है यह आर्थिक विषमता को दूर करने के लिए समान संपत्ति बांटने की जरुरत पैदा हुई है. दिनोंदिन भारत में बेरोजगारी बढ़ रही है. किसानों की आत्महत्याएं बढ़ रही है. इसमें स्थित बदलने के लिए सरकार के सामने बड़ी चुनौती है. चर्चासत्र का प्रस्ताविक प्राचार्य डॉ. डी.डी. बालसराफ ने किया. सूत्रसंचलन प्रा. के. वी. अडसूल और डॉ. एस.के. सानप ने आभार माना