निकाह हलाला और बहुविवाह क्या है?

तीन तलाक़ पर फैसले के बाद अब सुप्रीम कोर्ट निकाह हलाला, बहुविवाह, निकाह मुता और निकाह मिस्यार पर सुनवाई करने जा रहा है। मुस्लिम कट्टरपंथी जहां इस सुनवाई के विरोध में हैं, वहीं महिलाओं ने उसका स्वागत किया है। उन्हें लगता है कि सालों से रिवाजों के जिन जंजीरों में वे जकड़ती चली आ रही हैं, शायद अब उनसे छुटकारा मिल जाए। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। आपको बता दें कि चार याचिकाकर्ताओं ने इन मामलों में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। याचिकाकर्ताओं में अश्विनी उपाध्याय, शमीना बेगम, नफीसा ख़ान और हैदराबाद से मोअल्लिम मोहसिन शामिल हैं। अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि ये प्रथाएं जेंडर जस्टिस और समानता के खिलाफ हैं। ये महिलाओं के सम्मान से जीने के अधिकार को छीनती हैं और इनमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 44 का उल्लंघन हो रहा है। सात महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक क़रार दिया था जिसके बाद केंद्र सरकार ने लोकसभा में बिल लाकर इसे अपराध की श्रेणी में रख दिया था। हालांकि अभी राज्यसभा से ये बिल पारित नहीं हुआ है। आइए जानते हैं कि आखिर हलाला, बहुविवाह और निकाह मुता क्या हैं:

निकाह हलाला
अन्य धर्मों के लोगों के लिए इसे समझना बेहद पेचीदा हो सकता है, मुसलमानों के लिए यह आम है। यदि मुस्लिम दंपत्ति तलाक देकर अलग हो जाते हैं, और बाद में पुरुष अपनी पूर्व पत्नी को फिर से अपना बनाना चाहता है, तो निकाह हलाला प्रक्रिया को अमल में लाया जाता है। इसके तहत पत्नी को किसी दूसरे मर्द से शादी करनी होती है और शारीरिक संबंध बनाने होते हैं और फिर यदि वो ‘खुला’ या तलाक़ के ज़रिए अलग हो जाते हैं तो वो अपने पहले पति से दोबारा शादी कर सकती है। ख़ुला वो प्रक्रिया है जिसमें पत्नी पति से तलाक मांगती है।

बहुविवाह 
इस्लाम में एक से ज्यादा शादियों का चलन है। इसके तहत एक पुरुष को चार शादियां तक करने की इजाजत है। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि इससे किसी विधवा या बेसहारा औरत को सहारा दिया जा सकता है। हालांकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस नियम का कई बार ग़लत फ़ायदा उठाया जाता है।

निकाह मुता 
निकाह मुता वो तरीका है जिसमें लड़का-लड़की तय समय के लिए शादी करते हैं। इसमें मेहर की रकम भी होती है, समय की मियाद पूरी होने पर शादी खत्म मान ली जाती है लेकिन इसे केवल आपसी सहमति से आगे भी बढ़ाया जा सकता है। इसे एक तरह से कॉन्ट्रैक्ट मैरेज कहा जा सकता है। वैसा इसका चलन अब शिया मुसलमानों में ही ज्यादा है।