पाकिस्तान में छात्रों का देशव्यापी प्रदर्शन, ‘आजादी’ के नारों की गूंज

 इस्लामाबाद, 29 नवंबर (आईएएनएस)| छात्र संघों की बहाली, बेहतर व सुलभ शिक्षा उपलब्ध कराने व परिसरों में किसी भी तरह के लैंगिक तथा धार्मिक भेदभाव के खिलाफ पाकिस्तान के छात्र-छात्राओं ने शुक्रवार को देशव्यापी प्रदर्शन किया। उनके इस आंदोलन में समाज के अन्य तबकों के लोग भी शामिल हुए। सभी प्रांतों में शुक्रवार को जगह-जगह निकाले गए ‘छात्र एकजुटता मार्च’ में अभिव्यक्ति व दमन से आजादी की मांग करते हुए ‘हमें क्या चाहिए..आजादी’ के नारे लगाए गए।

प्रदर्शन का आह्वान देश भर के छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों को मिलाकर बनाई गई स्टूडेंट एक्शन कमेटी (एसएसी) ने किया था। इसे राजनैतिक दलों के साथ-साथ, किसान, मजदूर व अल्पसंख्यक समुदायों के संगठनों का समर्थन हासिल था।

विद्यार्थियों की सर्वाधिक प्रमुख मांग छात्र संघ की बहाली है। इसके साथ वे शिक्षा के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं, छात्राओं के साथ होने वाले भेदभाव का खात्मा चाह रहे हैं तथा परिसरों से सुरक्षा बलों को बाहर निकालने और हॉस्टल व परिवहन की सुविधा की मांग कर रहे हैं।

कराची में निकाले गए मार्च में विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके माता-पिता, वकील व सिविल सोसाइटी के सदस्य भी शामिल हुए। मार्च में ‘हमें क्या चाहिए..आजादी’ के नारे गूंज रहे थे। जिन इलाकों से होकर यह मार्च गुजरा, वहां के दुकानदारों ने कुछ देर के लिए दुकानें बंद कर छात्रों के प्रति अपना समर्थन जताया।

कराची के मार्च में शामिल वकील व सामाजिक कार्यकर्ता जिबरान नासिर ने कहा, “मैं अपने देश के भविष्य का समर्थन करने आया हूं। हमें यह समझना होगा कि अगर हम अतीत के स्मारकों पर ही रोशनी डालते रहेंगे तो फिर भविष्य को हम प्रकाशमान नहीं कर सकेंगे।”

लाहौर में छात्रों का मार्च शहर के अलग-अलग स्थानों से गुजर कर राज्य विधानसभा के बाहर समाप्त हुआ जहां एक सभा में छात्र नेताओं ने अपनी मांगों को रखा।

पेशावर व क्वेटा में भी छात्रों ने विशाल मार्च निकाला।

छात्रों के प्रदर्शन को विपक्षी दलों का समर्थन तो मिला ही, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने भी कहा कि छात्र संघों पर से रोक हटनी चाहिए। यह प्रतिबंध गैर लोकतांत्रिक है।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से छात्र संघों के समर्थन में रही है। उन्होंने कहा कि छात्र संघों पर रोक समाज को गैरराजनीतिक बना देने की साजिश का हिस्सा है।