पुलिस ने मुझे गिरफ्तार नहीं किया मैं खुद पुलिस के समक्ष गई थी – सादिया शेख

पुणे – पुलिस ने मुझे गिरफ्तार नहीं किया था, ब्लकि मैं खुद पुलिस के पास गई थी. मीडिया ने मेरे बारे में गलत खबरें देकर मेरी काफी बदनामी की है, जिससे मुझे काफी अघात पहुंचा है. मैं जम्मू कश्मीर में नर्सिंग की पढ़ाई करने के लिए गई थी, मेरा किसी भी आतंकी संगठन से लेना देना नहीं है. ऐसा खुलासा आज सादिया शेख ने प्रेस वार्ता में किया.

मेरी छवि को धूमिल करने के लिए मीडिया जिम्मेदार

मेरी छवि को खराब करने के लिए मीडिया ही पूरी तरह से जिम्मेदार है. इंटेलिजन्स ब्युरो के मुताबिक में उनके लिए एक संदिग्ध थी, पर मीडिया ने तो मुझे आतंकवादी ही घोषित कर दिया था. मैं अपने भूतकाल को भूलकर अपना अच्छा भविष्य बनाना चाहती हूं, पर मेरे भूतकाल को उछाल-उछाल कर दिखाया जा रहा है, मेरे भविष्य को खराब करने के लिए मीडिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. पुलिस के समक्ष में खुद पेश हुई, कश्मीर पुलिस, एटीएस, इंटेलिजन्स ब्युरो और बहुत सी एजेंसियों ने मुझसे जम्मू में आने की काफी पूछताछ की थी, जिसपर मैंने सारे सबूत पेश किए थे कि मैं जम्मू में पढ़ाई के लिए आई हूं, मुझे वहां से क्लीन चिट मिली है और मैं पूरी तरह से निर्दोष साबित हुई हूं.

मैंने खुद मेरी पहचान बतायी थी पुलिस को

सादिया शेख ने बताया कि 16 जनवरी को मैं जम्मू गई थी, जम्मू में रहनेवाली मेरी एक फ्रैंड ने मेरे रहने, खाने और पढ़ाई की पूरी व्यवस्था की थी. जम्मू जाने से पहले मैंने मेरी फ्रैंड से वहां पर कोर्स करने के लिए पूछताछ भी थी, नर्सिंग का कोर्स करने के लिए मैंने जम्मू में एडमिशन भी लिया है. लेकिन 22 जनवरी से मेरे खिलाफ मीडिया में खबरें दिखाई जाने लगी, जिसमें मुझे सुसाइड बम घोषित किया, श्रीनगर में 26 जनवरी के दिन परेड में सुसाइड बम के जरिए हमला करने जैसी संघिन्न आरोप लगाए गए, यह खबर सुनकर मैं काफी आश्चर्यचकित थी, मेरी मां ने मुझसे फोन के जरिए संपर्क किया था कि मेरे बारे में न्यूज में खबरें आ रही हैं, यह पूरा क्या माजरा है. मैंने मां को उसी वक्त बताया था कि ऐसा कुछ भी नहीं है, मेरे बारे में गलत अफवाह उड़ायी जा रही है. दो दिनों तक मैं अपनी मां से संपर्क नहीं कर सकी थी कि क्योंकि जम्मू में दो दिनों तक नेटवर्क बंद थे. मेरा मोबाइल बंद आने की वजह से मेरे ऊपर मंडरा रही शक की सुई को मीडिया ने सही करार देते हुए मुझे फियादीन ही घोषित कर दिया था. मीडिया में चलाए जानेवाले खबरों से मुझे इतना अघात पहुंचा कि मुझे ढूंढने के लिए जम्मू में बड़ी तादाद में नाकाबंदी कर दी गई. मैं अपनी दोस्त के साथ श्रीनगर से होते हुए अवंती पुरा जा रही थी, चेक पोस्ट में रुके पुलिसवालों ने हमारी गाड़ी रूकाकर हमसे पूछताछ की थी, तब मैंने पुलिस को उस समय साफ बता दिया था कि मैं पुणे की वही लड़की हूं जिसे आप लोग ढूंढ रहे हैं, वहां से मुझे पुलिस स्टेशन ले जाया गया था. उस समय मैंने पुलिस को खुद मेरी पहचान बतायी थी.

घर से बाहर निकलने में लगता है डर

मैं पुलिस की नजरों से निर्दोष जरूर बरी हो गई हूं, पर मुझे आज भी घर से बाहर निकलने में डर लगता है, समाज में लोग मुझे आतंकवादी की नजर से देखते हैं. मैं बस अपना भविष्य बनाना चाहती हूं, जो मेरा मौलिक अधिकार है, पर इस तरह के संघिन्न आरोपों की वजह से मेरे पूरा करियर बर्बाद होने को है. मुझे पूरा अधिकार है कि मैं किस विषय पर और किस जगह से पढ़ाई करना चाहती हूं. जम्मू में मेरी पढ़ाई को लेकर शक की नजर से देखा जाना, मेरे लिए काफी दर्दनाक है.

मेरी बेटी को न्याय दो

अपनी बेटी की सफाई में साफिया शेख ने कहा कि मेरी बेटी को बदनाम करने के लिए किसी ने बड़ी साजिश रची है. मेरी बेटी जम्मू में पढ़ाई करने गई थी, लेकिन मीडिया में जिस तरह से सादिया को लेकर खबरें दिखाई जाने लगी थी, उसके बाद से उसके कॉलेज में एटीएस की टीम, जम्मू पुलिस मेरी बेटी को लेकर पूछताछ करने गई थी कि मेरी बेटी सच में वहां पढ़ रही है या नहीं. मुझे पुणे आयुक्तालय से भी इस बात के लिए फोन आए थे, मैंने पुलिस को साफ बताया था कि मेरी बेटी पढ़ाई करने के लिए पुणे से बाहर गई है. मैं खुद अपनी बेटी को पढ़ाई के लिए जम्मू छोड़ने गई थी, एडमिशन की पूरी प्रक्रिया होने के बाद मैं वापस पुणे आ गई थी. मैं बस अपनी बेटी के लिए न्याय चाहती हूं, मेरी बेटी के ऊपर जो आरोप लगाए गए थे, उससे वो पूरी तरह क्लीन चिट मिल गई है.