प्रत्येक 10 में से 4 पुणेवासी हीमोग्लोबिन के असामान्य स्तर से पीड़ित – गोलविलकर मेट्रोपोलिस का सर्वेक्षण

पुणे : पुणे में गोलविलकर मेट्रोपोलिस की विशाल अत्याधुनिक सुविधा में 2013 से 2017 तक पाँच वर्षों के दौरान 0 से 80 वर्ष के आयु वर्ग के बीच परीक्षण किए गए 6,59,353 नमूनों के आँकड़ों के विश्लेषण में कुछ तथ्यों का खुलासा हुआ। जिनमें कुल नमूनों में से 39% में हीमोग्लोबिन का असामान्य स्तर दिखाई दिया। 30-40 वर्ष के आयु वर्ग में हीमोग्लोबिन का अधिकतम असामान्य स्तर लगभग 17% पर पाया गया, इसके बाद 20-30 वर्ष के आयु वर्ग के लगभग 14% पर पाया गया। 0-10 वर्ष के आयु वर्ग में, परीक्षण किए गए 28813 नमूनों में से, 65% नमूने (18862) असामान्य पाये गए थे।

इस सर्वेक्षण पर बोलते हुए, गोलविलकर मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर के अध्यक्ष, डॉ सुशील शाह ने कहा, “2017 में आई ग्लोबल पोषण रिपोर्ट ने भारत को एनीमिया के संदर्भ में बनाई गई तालिका में सबसे नीचे रखा था। यह महत्वपूर्ण है कि महिलायें एनीमिया का पता लगाने के लिए और उसका उपचार करने के उपाय करने के लिए परीक्षण करवाती हैं। विशेष रूप से बच्चों को जन्म देने की उम्र के दौरान एनीमिया के खतरनाक प्रभाव होते हैं।”

हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने के कई तरीके होते हैं। सामान्यतः, हीमोग्लोबिन के कम स्तर इन तीन परिस्थितियों के कारण बढ़ाने की आवश्यकता होती है: लाल रक्त कोशिका निर्माण में कमी, लाल रक्त की कोशिकाओं के मिटने की प्रक्रिया में वृद्धि, और रक्तस्राव के कारण। कम हीमोग्लोबिन के निम्न स्तरों के इन अंतर्निहित कारणों को आरंभिक चरण में संबोधित करने से यह निर्धारित होता है कि हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने के लिए किस पद्धति का उपयोग किया जाना चाहिए। हीमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि करने के तरीके भिन्न-भिन्न हैं और उनका उपयोग अंतर्निहित समस्याओं पर निर्भर करता है। हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर बनाए रखने के लिए लौह समृद्ध खाद्य पदार्थ (अंडे, पालक, आर्टिचोक, बीन्स, पतला मांस और समुद्री भोजन) और सहायक तत्वों (जैसे विटामिन बी5, फोलिक एसिड, विटामिन बी12 और विटामिन सी) में समृद्ध पदार्थों का सेवन बढ़ाना। ऐसे खाद्य पदार्थों में मछली, सब्जियां, मेवे, अनाज, मटर, और खट्टे फल शामिल होते हैं।