महंगाई दस्तक देने को है तैयार 

नयी दिल्ली: महंगाई की मार झेल रही जनता को मूल्य-वृद्धि का एक और डोज़ मिलने वाला है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (एनएचइएआई) एक अप्रैल से टोल टैक्स में इजाफा करने जा रहा है। यह वृद्धि पांच से सात प्रतिशत तक की गयी है। टोल टैक्स बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन महंगा और ट्रांसपोर्टेशन महंगा होने से फल-सब्जियों से लेकर खाने-पीने की हर वस्तु के आपको ज्यादा दाम चुकाने होंगे। एनएचइएआई की घोषणा के साथ ही ट्रांसपोर्टरों ने कह दिया था की आवश्यमक वस्तुंओं के दाम बढ़ सकते हैं।

जेब पर असर को समझें
केवल टोल टैक्स की बात करें तो आपकी जेब पर असर को कुछ इस तरह समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि आप सड़क मार्ग से पुणे से भोपाल जा रहे हैं, तो आपको अब तक एक तरफ के 600 रुपए के आसपास चुकाने होते थे। जिसमें महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के टोल भी शामिल हैं। महाराष्ट्र में शिरपुर और सोनगिर टोल प्लाजा पर क्रमश 90 एवं 55 रुपए टैक्स वसूला जाता है। इसी तरह मध्यप्रदेश में देवास कॉरिडोर के तीन टोल गेट पर कुल 92 रुपए टैक्स लिया जाता है। जबकि ओरियंटल पाथवे, इंदौर में वाहन चालकों को 48 रुपए टैक्स देने होते हैं। इस तरह दोनों राज्यों में वसूला जाने वाले कुल टोल टैक्स होता है 285, जबकि नेशनल हाईवे की हिस्सेदारी है 278। अब चूँकि टैक्स नेशनल हाईवे का बढ़ा है इसलिए एक अप्रैल से आपको 278 से बजाए लगभग 298 रुपए देने होंगे। यानी करीब 20 रुपए ज्यादा।

गड़बड़ाएगा गणित 
एनएचएआई के पूरे देश में 372 टोल प्ला।जा है। हर साल वित्तीशय वर्ष के शुरू होने पर टोल दरों की समीक्षा की जाती है। टोल दरें बढ़ने से आपको टैक्स के रूप में भले ही ज्यादा राशि का भुगतान न करना पड़े, लेकिन सम्पूर्ण रूप में इसका आपकी जेब पर बड़ा असर होगा। दाल से लेकर सब्जियों के भाव पहले ही ऊंचाई पर हैं और अब उनमें और भी तेज़ी देखने को मिलेगी। यानी सीधे शब्दों में कहें, तो आपकी किचन का गणित गड़बड़ाने वाला है।

यहाँ भी बढ़ेंगे दाम
पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल की कीमतों में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। शनिवार को पुणे में पेट्रोल 81 रुपए के आसपास था। जानकारों की अगर मानें तो आने वाले में कीमतें और चढ़ सकती हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो भी कारण हों, भारत में चल रही राजनीतिक उठापथल को ध्यान में रखते हुए कम्पनियाँ अपने मुनाफे के आंकड़े को और बढ़ाने में जुटी हुईं हैं। न तो विपक्ष और न ही मीडिया का ध्यान इस ओर है, इसलिए कंपनियों जब तक हो सके दाम बढ़ाती चली जाएँगी। और बाद में जब बवाल होगा तो कुछ पैसे कम करके लोगों को खामोश करा दिया जायेगा।