महापौर की होड़ में पुराने भाजपाई भी हुए शामिल!

पिम्परी: पुणेसमाचार

स्थायी समिति अध्यक्ष चुनाव के बाद पिम्परी चिंचवड़ मनपा की सत्ताधारी भाजपा में अब महापौर पद को लेकर भारी होड़ मच गई है। अब तक पार्टी के शहराध्यक्ष व विधायक लक्ष्मण जगताप के कट्टर समर्थक शत्रुघ्न काटे इस पद के बड़े दावेदार माने जाते रहे। मगर स्थायी समिति अध्यक्ष के चुनाव के बाद से सारे सियासी समीकरण बिगड़ने लगे हैं। विधायक महेश लांडगे के कट्टर समर्थक राहुल जाधव ने स्थायी समिति सदस्य पद से इस्तीफा देकर खुद को महापौर पद का दावेदार साबित कर दिया है। अब इन दोनों विधायकों के समर्थकों में मची होड़ में ‘पुरानी’ भाजपा के गुट ने भी छलांग लगा दी है। जाधव की भांति स्थायी समिति अध्यक्ष पद से मौका चूकने वाले शीतल उर्फ विजय शिंदे भी महापौर पद के लिए इच्छुक हो गए हैं। इसके अलावा इसी गुट के नामदेव ढाके तो पहले से ही तीव्र इच्छुक हैं।

स्थायी समिति अध्यक्ष पद के चुनाव से सत्ताधारी भाजपा में सियासी घमासान छिड़ा है। वैसे तो इस चुनाव के बाद जैसा कि पार्टी के शीर्ष स्तर पर तय किया गया है, महापौर बदलना निश्चित है। मगर इसकी गतिविधियां तब तेज हो गई जब लांडगे समर्थक राहुल जाधव ने स्थायी समिति सदस्य पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया। उनका यह कदम महापौर पद की दिशा में ही उठाया गया है, ऐसा सियासी गलियारे में कहा जा रहा है। स्थायी समिति अध्यक्ष पद से मौका चूकने के बाद लांडगे गुट महापौर पद अपने कब्जे में रखना चाहता है, जाधव का इस्तीफा और महापौर नितिन कालजे की वर्षापूर्ति की पत्रकार वार्ता इसी के संकेत दे रही है। वहीं विधायक जगताप गुट ‘स्थायी समिति अध्यक्ष तो मेरा है ही, महापौर भी मेरा ही’ का नारा बुलंद किये हुए हैं। इसी के चलते दोंनो विधायकों के गुट फिर आमने सामने आ गए हैं।

अभी जगताप और लांडगे गुट के बीच जारी घमासान रंग ला ही रही थी, कि महापौर पद की होड़ में मूल या पुरानी भाजपा से जुड़े गुट ने भी छलांग लगा दी है। इसकी गतिविधियां तब तेज हो गई जब स्थायी समिति अध्यक्ष पद से मौका चूकने वाले शीतल शिंदे भी महापौर की होड़ में शामिल हो गए। वे भी लगातार दूसरी बार नगरसेवक चुने गए हैं, मूल भाजपा से जुड़े हुए हैं और सबसे बड़ी बात वे मूल ओबीसी प्रवर्ग से हैं। इन तर्कों को आगे करते हुए वे स्थानीय से लेकर शीर्ष स्तर तक अपने लिए लॉबिंग में जुट गए हैं। इसके अलावा सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा का पहला महापौर होते होते रह गए इसी गुट के नगरसेवक नामदेव ढाके की इच्छा अभी लुप्त नहीं हुई है, वे भी मैदान में हैं। हांलाकि दोनों विधायकों के गुटों के समक्ष शीतल शिंदे की दावेदारी किसी चुनौती से कम साबित नहीं होगी। अब सत्ताधारी भाजपा में मची यह होड़ क्या रंग लाएगी? इसकी ओर निगाहें गड़ गई हैं।