महाराष्ट्र राज्य किसान सभा की विभिन्न माँगें और सरकारी आश्वासन

1) वन अधिकार कानून सही ढँग से लागू हो-

तमाम लंबित दावों/ अपीलों का छह महीनों के भीतर द्रुत गति से निपटान किया जाएगा। उक्त प्रक्रिया पर नियंत्रण रखने और उसके अमलीकरण के लिए सक्षम तंत्र बैठाया जाएगा।

2) नार-पार, दमणगंगा, वाघ और पिंजाल नदी के अरब सागर में मिलने वाले जल को रोककर गिरणा एवं गोदावरी की घाटी में प्रवाहित किया जाएगा और महाराष्ट्र का पानी गुजरात नहीं जाएगा।

नार-पार, दमणगंगा, वाघ और पिंजाल नदी के अरब सागर में मिलने वाले जल को रोककर गिरणा एवं गोदावरी की घाटी में प्रवाहित करने की परियोजना की रिपोर्ट केंद्र सरकार के राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण ने बनाई थी। उस आधार पर तैयार समझौता अनुबंध का मसौदा 22 सितंबर 2017 को केंद्र सरकार को दिया गया था। इस अनुबंध के अनुसार इन घाटियों में जमा होने वाले जल को रोककर उसका वितरण महाराष्ट्र के लिए ही किया जाएगा। उक्त परियोजना चरणबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी। कलवण-मुरगाँव इलाके की 31 लघु सिंचाई परियोजना/ कोल्हापुरी बंदर की उपयोगिता की जाँच कर उन्हें भी शामिल किया जाएगा। परियोजना को अमल में लाते हुए इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा कि आदिवासियों को ग्राम विस्थापन न झेलना पड़े।

3) श्राइन पुरस्कार श्रेणी –3 की भूमि के संदर्भ में सरकार द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट अप्रैल 2018 तक मिलेगी जिसके आधार पर अगले दो महीने के समय में नीतिगत निर्णय लिए जाएँगे। ज़मीन के मूल मालिक या उनके वारिस को जमीन लौटाने का निर्णय सरकार ने पहले ही ले लिया था अब उसके अनुसार नियम और कानून में संशोधन किया गया है। जिनकी ज़मीन पर अतिक्रमण हुए हैं उस बारे में नीतिगत निर्णय की कार्रवाई अगले छह महीनों की अवधि में पूरी की जाएगी। लावारिस ज़मीन के बारे में विभागीय आयुक्त नासिक की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी और समस्याओं का अध्ययन किया जाएगा। चारा ज़मीन पर बेघरों के घरों को नियमित करने का निर्णय लिया गया है।

4) कर्जमाफी-
• प्रदेश के 46.52 लाख किसानों के खातों के लिए बैंकों को 46.52 किसानों के खातों के लिए बैंकों को निधि वितरित की जाएगी।

• अब तक 35.51 लाख किसानों के बैंक खाते में राशि जमा की गई है।

• स्वामीनाथन आयोग को अमल में लाने के लिए केंद्र सरकार से बातचीत की जाएगी।

• वर्ष 2001 से 2009 तक बकाया खातेदारों में से जिन्हें वर्ष 2008 में कर्जमाफी योजना का लाभ नहीं मिला है उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज खेती सम्मान योजना का लाभ दिया जाएगा।

• वर्ष 2016 -17 में जिन खातेदारों पर बकाया है उसकी रिपोर्ट तैयार कर राहत योजना बनाई जाएगी।

• परिवार में पति-पत्नी और उनके नाबालिग बच्चों को 1.5 लाख रुपए तक कर्ज माफी दी जाएगी।

• मुख्यमंत्री के अनुसार परिवार के हर व्यक्ति को स्वतंत्र आवेदक समझा जाए ऐसी माँग होने पर कुल वित्तीय बोझ कितना आएगा उस बारे में विचार कर निर्णय लिया जाएगा। इस बारे में समिति गठित कर अगले डेढ़ महीने में निर्णय लिया जाएगा।
• छत्रपती शिवाजी महाराज किसान सम्मान योजना के अमलीकरण के लिए समिति गठित की जाएगी। उसमें मंत्री और आंदोलन करने वाले किसानों के प्रतिनिधि का समावेश होगा।

• फसल कर्ज के साथ अवधि कर्ज का भी समावेश किया जाएगा। इस अवधि कर्ज में खेती, इमू पालन, शेडनेट, पॉली हाउस के लिए 1.5 लाख रुपए तक के कर्ज का समावेश किया जाएगा।

• ऐसे ऋणी किसान जो छत्रपती शिवाजी महाराज किसान सम्मान योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन नहीं कर सके उन्हें आवेदन करने के लिए 31 मार्च 2018 तक की अवधि दी जाएगी।

• 70:30 के हिसाब से दूध की कीमतें तय करने के लिए अलग से बैठक बुलाई जाएगी।

• राज्य कृषी मूल्य आयोग का पूरी तरह से गठन होगा और गारंटी मूल्य के बारे में कार्रवाई होगी। गन्ने की कीमत नियंत्रित करने के लिए भी समिति गठित की जाएगी।

5) संजय गांधी निराधार योजना, श्रावण बाल योजना का लाभ देने के लिए इस बारे में सरकार की भूमिका सकारात्मक है। मानधन को कितना बढ़ाया जाए इस बारे में रिपोर्ट तैयार की जाएगी और मानसून अधिवेशन में उचित निर्णय लिया जाएगा। तहसील स्तर पर समितियों का गठन होगा। संजय गांधी निराधार योजना एवं श्रावण बाल योजना के लिए चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए हर जिले में एक दिन तय किया जाएगा और एम.बी.बी.एस. पदवी प्राप्त चिकित्सा अधिकारी के ज़रिए आयु प्रमाण पत्र देने व प्राथमिक चिकित्सा अधिकारियों को भी इस कार्य के लिए प्राधिकृत किया जाएगा।

6) पुराने राशन कार्ड को बदलने और संयुक्त राशन कार्ड को विभक्त करने के बारे में सरकार अगले छह महीने में कार्रवाई करेगी। राशन की दुकान से सस्ती दर में अनाज मिल रहा है या नहीं इस बारे में सचिव स्तर पर जाँच की जाएगी।

7) इल्लियों और मावठे की वजह से हुए नुकसान की भरपाई दी जाएगी। इस बारे में 23 फरवरी 2018 को सरकार ने निर्णय लिया था जिसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। उसे औपचारिक स्वीकृति मिलने की राह नहीं देखी जाएगी और नुकसान की भरपाई की जाएगी।

8) अति आवश्यक सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए जिस भूमि का अधिग्रहण किया गया है उस बारे में तय शर्त को पेसा नियम से स्थगित किया गया है। संबंधित किसानों की सहमति ली जा रही है और निजीकरण या अन्य कार्यों के लिए ग्राम सभा की शर्ते यथावत रहेंगी।