मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने भारत से मांगी मदद, चीफ जस्टिस समेत कई अरेस्ट

मालदीव में सोमवार को मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आपातकालीन लगा दी।

माले :  मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने देश में जारी राजनीतिक संकट को निपटाने के लिए भारत से मदद मांगी है। नशीद ने अपील की है कि भारत मामले को सुलझाने के लिए देश में राजनायिक और सैन्य दखल दे। बता दें कि सोमवार को मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में आपातकालीन का एलान कर दिया है । जिसके बाद सुरक्षा बल ने पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अली हामिद समेत कई लोगों को गिरफ्तार  कर लिया। सेना को किसी भी संदिग्ध को गिरफ्तार करने की छूट दी गई है।

गयूम मालदीव के 30 साल तक अध्यक्ष रहे हैं। वे 2008 में देश में लोकतंत्र की स्थापना होने के बाद तक राष्ट्रपति रहे। इसके बाद हुए चुनाव में मोहम्मद नशीद देश के पहले चुने हुए राष्ट्रपति बने थे।गयूम की बेटी युमना मौमून के मुताबिक, उनके पिता को उनके घर से दूर ले जाया गया है।

मोहम्मद नशीद मालदीव के राष्ट्रपति रह चुके हैं। जब 2008 में मालदीव को लोकतंत्र घोषित किया गया था तब मोहम्मद नशीद लोकतांत्रिक रूप से चुने गए देश के पहले नेता थे। हालांकि, 2015 में उन्हें आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। नशीद अभी ब्रिटेन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं और अपने राजनीतिक अधिकारों को बहाल करने की कोशिशों में लगे हैं। उनकी पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी श्रीलंका से काम करती है।

देश में 15 दिन की इमरजेंसी लगाई गई है। इसके बाद आर्मी जगह-जगह छापे मार रही है। नागरिकों के सभी अधिकार रद्द कर दिए गए हैं। सेना किसी भी शख्स को गिरफ्तार कर सकती है।उधर मालदीव के चीफ जस्टिस अली हामिद और ज्यूडिशियरी से जुड़े कुछ और अफसरों को गिरफ्तार किया गया है।

बिगड़ते हालात देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने मालदीव में रह रहे अपने नागरिकों को सतर्क रहने को कहा है। इसके अलावा लोगों को फिलहाल, मालदीव ना जाने की सलाह भी दी गई है।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत 9 लोगों के खिलाफ दायर एक मामले को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इन नेताओं की रिहाई के आदेश भी दिए थे।कोर्ट ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला की पार्टी से अलग होने के बाद बर्खास्त किए गए 12 विधायकों की बहाली का भी ऑर्डर दिया था। सरकार ने कोर्ट का यह ऑर्डर मानने से इनकार कर दिया था, जिसके चलते सरकार और कोर्ट के बीच तनातनी शुरू हो गई।कई लोग राष्ट्रपति अब्दुल्ला के विरोध में सड़कों पर आए थे। विरोध देखते हुए सोमवार को देशभर में 15 दिन की इमरजेंसी का एलान कर दिया गया।