मिस्त्री को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के आदेश पर लगाई रोक

नई दिल्ली, 10 जनवरी (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साइरस मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में बहाल करने के नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के आदेश पर रोक लगा दी। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. ए बोबडे ने कहा कि एनसीएलएटी ने उस प्रार्थना को अनुमति दे दी, जिसका अनुरोध ही नहीं किया गया था।

शीर्ष अदालत में याचिका के लंबित रहने के दौरान मिस्त्री ने एक बयान में कहा था कि वह टाटा संस की अध्यक्षता में दिलचस्पी नहीं रखते हैं।

टाटा समूह और मिस्त्री के बीच की लड़ाई में नया मोड़ तब आया था, जब साइरस मिस्त्री ने कहा कि वह न तो टाटा संस का चेयरमैन (अध्यक्ष) बनेंगे और न टाटा समूह की किसी कंपनी का निदेशक बनेंगे।

उन्होंने कहा था कि लेकिन वह एक माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के रूप में तथा टाटा संस के बोर्ड में एक सीट के शापूरजी पालोनजी समूह के अधिकारों की रक्षा के लिए सभी विकल्प आजमाएंगे।

शीर्ष न्यायालय टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड (टीएसपीएल) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल करने के नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के आदेश को चुनौती दी गई थी।

इस मामले को बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। प्रधान न्यायाधीश के अलावा इसमें न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे।

टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के 18 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें इसने मिी के पक्ष में अपना फैसला देते हुए साइरस को पुन: टीएसपीएल का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का निर्णय दिया था।

टाटा ने अपनी याचिका में कहा कि यह आदेश कॉरपोरेट डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) को कमजोर करने के साथ-साथ निदेशक मंडल के अधिकारों को भी कमजोर करता है।

इससे पहले मिी ने कहा था, “फैलाई गई गलत सूचनाओं को स्पष्ट करने के लिए मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनसीएलटी का आदेश मेरे पक्ष में भले ही आया है, लेकिन मैं टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन नहीं बनना चाहूंगा, मैं टीसीएस, टाटा टेलीसर्विसिस या टाटा इंडस्ट्रीज का निदेशक भी नहीं बनना चाहूंगा।”

उन्होंने एक बयान में कहा था, “लेकिन मैं एक माइनॉरिटी शेयरहोल्टर के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सभी विकल्प आजमाऊंगा, जिसमें टाटा संस के बोर्ड में एक सीट हासिल करना और टाटा संस में सर्वोच्च स्तर का कॉरपोरेट शासन और पारदर्शिता लाना शामिल है।”

हालांकि, उन्होंने कॉरपोरेट डेमोक्रेसी में “सहायक क्रूरतावाद का समर्थन करने” के लिए टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा पर निशाना साधा था।