म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले खुद से पूछें कुछ सवाल

आजकल म्यूचुअल फंड निवेश का सबसे अच्छा विकल्प बन गए हैं। हालांकि आम बजट में टैक्स संबंधी प्रावधान किए जाने के बाद से निवेशक थोड़ा परेशान ज़रूर हुए हैं। पिछले कुछ वक़्त की यदि हम बात करें तो म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वालों की संख्या में एकदम से इजाफा हुआ है। इसमें कम उम्र के नौकरीपेशा भी बड़ी संख्या में हैं। म्यूचुअल फंड के बारे में अक्सर कहा जाता है कि यहां कम समय में ही दो से तीन गुना मुनाफा कमाया जा सकता है। लेकिन ये तभी मुमकिन है जब आप इसका बारीकी से अध्ययन करें और सोच-समझकर पैसा लगाएं। इसके लिए ज़रूरी है कि आप खुद से निम्न

सवाल पूछें :

निवेश का मकसद और समय 

किसी भी बाजार में उतरने से पहले आपको यह देखना ज़रूरी है कि निवेश का मतलब क्या है। यानी आप थोड़ा-थोड़ा लाभ कमाना चाहते हैं या फिर लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं। इसके अलावा यह भी तय करना चाहिए कि आप कितना निवेश कर सकते हैं। यदि आप 2-3 साल के लिए निवेश करना चुनते हैं, तो उसके लिए अलग म्यूचुअल फंड होंगे और यदि आपको लंबी अवधि मतलब 5-10 साल के लिए निवेश करना है, तो इसके लिए अलग म्यूचुअल फंड होंगे। उदाहरण के तौर पर अगर आप छोटी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आपके लिए डेट फंड बेहतर रहेगा। डेट फंड में निवेश काफी बेहतर है, इसमें कम से कम जोखिम में एक समान और स्थिर रिटर्न प्राप्त होता है। वहीं इसके विपरित इक्विटी फंड ज्यादा रिटर्न देने का दावा तो करते हैं, लेकिन इसमें जोखिम का प्रतिशत भी उतना ही ज्यादा है।

ज़ोखिम सहने की क्षमता

निवेश का मकसद और अवधि तय होने के बाद दूसरा सवाल यह आता है कि आप कितना ज़ोखिम ले सकते हैं? ये तो आप जानते ही होंगे कि जितना ज्यादा रिटर्न उतना ज्यादा ज़ोखिम। लेकिन निवेश करते समय केवल मुनाफे पर ही ध्यान नहीं दिया जाता, बल्कि पूंजी की सुरक्षा भी मायने रखती है। मान लीजिये आप लंबी अवधि के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, लेकिन आप निवेश मूल्य में गिरावट का ज़ोखिम नहीं ले सकते तो यहां निवेश करना आपके लिए बेहतर नहीं होगा।

पिछला प्रदर्शन देखा?

निवेश का पहला सबक है, पिछले रिकॉर्ड की बारीकी से जांच। मिसाल के तौर पर यदि आप किसी म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने जा रहे हैं, तो आपको उससे जुड़ी कंपनी के पिछले प्रदर्शन का अध्ययन करना चाहिए, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि जैसा प्रदर्शन पहले था वैसा ही आगे भी रहेगा। फिर आपको इससे यह पता लग जाता है कि निवेश के ऊपर नीचे जाने की संभावना कितनी है।

निवेश से जुड़े खर्चे

म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले उससे जुड़े खर्चों के बारे में पता कर लेना अच्छा रहता है, वरना बाद में पछताना भी पड़ सकता है। आपको एंट्री और एग्जिट लोड, एसेट लोड मैनेजमेंट चार्ज, एक्सपेंस अनुपात आदि को देखना है। वैसे तो आमतौर पर म्यूचुअल फंड में एग्जिट लोड यानी समय से पहले जाने पर लगने वाले शुल्क का प्रावधान नहीं है, लेकिन कुछ कंपनियां इसके लिए 3% तक शुल्क वसूल सकती हैं। इसलिए अच्छे से पढ़कर वह स्कीम चुनें, जहां एग्जिट लोड कम हो या बिल्कुल भी न हो।