शेयर बाज़ार सट्टा नहीं, निवेश का सर्वोत्तम विकल्प

इंद्रायणी महाविद्यालय में आयोजित व्याख्यानमाला में बोले कुरैशी

पिंपरी : पुणेसमाचार

‘वर्तमान स्थिति में शेयर बाज़ार व्यापक स्तर पर रोजगार उपलब्ध करने वाला केन्द्र बन गया है। शेयर बाजार को सिर्फ सट्टा नहीं, बल्कि निवेश के सबसे अच्छे स्थान और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाले साधन के रूप में देखने की जरूरत है’। ये विचार मुंबई शेयर बाज़ार फोरम के यूनुस कुरैशी ने व्यक्त किए। इंद्रायणी महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की ओर से आयोजित बैंकिंग विषय के लिए सीमित कालावधि प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम के निमित्त तीन दिवसीय व्याख्यान माला के पहले सत्र में कुरैशी बोल रहे थे। उपप्राचार्य डॉ. एस.के. मलघे की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में शेयर बाज़ार विशेषज्ञ नेहा पटनी, अर्थशास्त्र विभाग प्रमुख डॉ. के.वी. अडसूल, डॉ. एस.के. सानप, प्रा. डी.पी. काकडे, प्रा. एम.वी. खांदवे, डॉ. अर्चना जाधव आदि भी उपस्थित थे।

दूर करनी होगी अज्ञानता 
इस दौरान कुरैशी ने मुंबई शेयर बाज़ार के संबंध में छात्रों को सभी जानकारी दी। उन्होंने सेंसेक्स और निफ्टी के बीच के अंतर से भी छात्रों को रू-ब-रू कराया। उन्होंने आगे कहा, ‘आज भी भारतीय और विशेष रूप से महाराष्ट्रीयन शेयर्स में निवेश करने को धोखा समझते हैं और एफडी, बीमा, पोस्ट में अधिक निवेश करते है। वर्तमान में भारत में युवाओं की संख्या सर्वाधिक है। इसके साथ ही देश में बेरोजगारी भी बढ़ती ही जा रही है। सिर्फ अज्ञानता के कारण युवा शेयर बाज़ार में उपलब्ध रोजगार के अवसरों से वंचित रहते हैं’। कुरैशी ने कहा कि भारत जीडीपी की दृष्टि से विश्व में 6वें स्थान पर है और भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसका पूरा श्रेय शेयर बाज़ार को जाता है। शेयर बाजार का भारत की अर्थव्यवस्था में काफी बड़ा योगदान है।

समझाया म्यूचुअल फंड का मंत्र 
नेहा पटनी ने म्यूचुअल फंड और शेयर बाज़ार के बीच का अंतर स्पष्ट किया। साथ ही म्यूचुअल फंड और अन्य क्षेत्रों में निवेश के बीच ब्याज की वापसी के फर्क के साथ ही  इक्विटी फंड, इंडेक्स फंड, सेक्टर फंड, बैलेन्स फंड, प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट, एफडी और सीफ अकाउंट आदि विषयों पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लोगों के मन में म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर एक डर है। उन्हें म्यूचुअल फंड और शेयर बाज़ार के बीच का अंतर मालूम न होने के कारण वे सिर्फ पारंपरिक यानी सोना, जमीन आदि में ही निवेश करते है।

निवेश ज़रूरी 
प्रा. अडसूल ने कहा कि हमारी छोटी-मोटी को बचत शेयर बाज़ार के माध्यम से बड़े पूजी बाजार में निवेश करना महत्वपूर्ण है। इससे मूलभूत उद्योगों के लिए आवश्यक पूंजी बढ़कर निवेश भी बढ़ता है। निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में भी बड़े स्तर पर वृद्धि होती है और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पर भी पैदा होते हैं। साथ ही शेयर धारकों को भी अच्छा लाभ मिलता है। कार्यक्रम की प्रस्तावना पाठ्यक्रम संयोजिका डॉ. अर्चना जाधव ने और आभार प्रदर्शन प्रा. के.वी. अडसूल ने किया।