हरियाणा में खुल गए 10वीं-12वीं के स्कूल, अभिभावकों ने कहा-फीस वसूली के लिए उठाया कदम 

गुड़गांव. ऑनलाइन टीम : कोरोनाकाल में सबसे अधिक दिनों तक शिक्षा क्षेत्र प्रभावित हुआ। इसका कारण यह रहा कि सरकार से लेकर अभिभावक तक कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं रहा। अब धीरे-धीरे स्कूल खोले जाने लगे हैं। कई राज्यों में स्कूलों को खोलने का निर्णय लिया जा चुका है। इसी कड़ी में हरियाण के स्कूल सोमवार से खोल दिए गए।  अभिभावकों की सहमति पत्र और हेल्थ कार्ड दिखाने के बाद ही बच्चों को स्कूलों में  एंट्री दी जा रही है।

सभी शिक्षकों की 100 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य की गई है। पहले चरण में स्कूल केवल दसवीं और बारहवीं कक्षा के लिए खोले गए हैं। 21 दिसंबर से 9वीं और 11वीं कक्षा के छात्रों को बुलाया जाएगा। वहीं पहली से आठवीं के छात्रों के लिए अभी स्कूल खोलने को लेकर कोई भी आदेश जारी नहीं किए गए हैं। छात्रों के लिए आधे घंटे पहले से स्कूलों में प्रवेश दिया जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि इतनी सावधानी के बावजूद अभी अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं। अभिभावकों का मानना है कि जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक ऑनलाइन कक्षाएं छात्रों के लिए बेहतर हैं।

हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने तो इसे प्राइवेट स्कूल संचालकों का दबाब बताया है। उनका कहना है कि इस कदम की पीछे मंशा यह है कि वे अभिभावकों से बढ़ाई गई गैरकानूनी ट्यूशन फीस व प्रतिबंधित किए गए फंड जैसे एडमिशन फीस, एनुअल चार्ज, ट्रांसपोर्ट फीस, कंप्यूटर फीस आदि वसूल सकें। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो मंच दोषी स्कूलों के खिलाफ लीगल कार्रवाई करेगा।

बता दें कि यहां पहले ही पंजाब एंड हाई कोर्ट व शिक्षा विभाग ने फैसला दिया है कि स्कूल प्रबंधक सिर्फ गत वर्ष की ही बिना बढ़ाई गई ट्यूशन फीस वसूलें, इसके अलावा अन्य किसी फंड में एक पैसा भी न लें, अभिभावक भी उसी के अनुसार फीस जमा कराएं। अगर स्कूल प्रबंधक गैरकानूनी फीस जमा कराने के लिए दबाव डालते हैं तो तुरंत इसकी लिखित शिकायत चेयरमैन फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी कम मंडल कमिश्नर से की जाएगी।