किसान नेताओं के सामने भी बड़ी चुनौती…टिकैत के आंसुओं से ठंडा हुआ माहौल फिर न भड़क जाए    

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : 26 जनवरी को किसान आंदोलन के दौरान हई हिंसक घटनाओं की नजर से देख जाए तो आज शनिवार को चक्काृजाम के दौरान पुलिस और किसान संगठन, दोनों के सामने ही चुनौती है। पुलिस चाहेगी कि किसी तरह आज की दिन शांति पूर्वक निकल जाए, तो किसान संगठन भी आशंकित है कि पिछली बार का आक्रोश तो राकेश टिकैत की आंसुओं से ठंडा पड़ गया, लेकिन इस बार ऐसा कुछ हुआ तो देश भड़क सकता है।

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो किसानों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए चक्का जाम का एलान भले ही कर दिया हो लेकिन इस चक्का जाम में शांति व्यवस्था बनाए रखना किसान नेताओं के लिए बड़ी चुनौती होगी। इस चक्का जाम में आशंका जताई जा रही है कि किसानों को उकसाकर बवाल कराया जा सकता है। इसलिए ही किसान नेताओं की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ गई है। लिहाजा संगठनों ने फैसला किया है कि चक्का जाम के दौरान शरारती तत्वों पर नजर रखने के लिए वालंटियर लगाए जाएंगे।

युवा किसानों को संदेश दिया जा रहा है कि आंदोलन को तोड़ने वाले उकसाने के लिए कुछ भी करें, लेकिन किसानों को शांत रहकर ही सफलता मिल सकती है। इसके साथ ही अधिकारियों, सुरक्षा कर्मियों, राहगीरों से अभद्रता नहीं करने की अपील की गई है।

याद रहे कि दिल्ली की घटना के बाद जिस तरह से माहौल गरम था, उसको देखते हुएसंयुक्त किसान मोर्चा को अपनी एक फरवरी को संसद मार्च की रणनीति बदलनी पड़ी थी।