नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – पिछले दिनों अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। सीजेआई रंजन गोगाई ने कहा कि विवादित जमीन राम लला विराजमान को दी जाए। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का भी फैसला दिया। सीजेआई ने कहा कि ये पांच एकड़ जमीन या तो अधिग्रहित जमीन से दी जाए या फिर अयोध्या में कहीं भी दी जाए।
इस फैसले के बाद भड़काऊ बयान देने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध जाने पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ भोपाल के जहांगीराबाद थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। ओवैसी के खिलाफ राजद्रोह और धर्म विशेष के लोगों को भड़काने पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। वकील पवन कुमार यादव ने पुलिस को शिकायत दर्ज कराई है।
Bhopal: A complaint has been filed by an advocate, Pawan Kumar Yadav against AIMIM leader Asaduddin Owaisi at Jahangirabad Police Station on charges of giving inciting statement on #AyodhyaVedict and going against Supreme Court. #MadhyaPradesh (File pic) pic.twitter.com/wG8Hm7J8U4
— ANI (@ANI) November 11, 2019
दरअसल ओवैसी ने कहा था कि हमें दान के तौर पर 5 एकड़ भूमि की आवश्यकता नहीं है। उच्चतम न्यायालय के फैसले से असंतुष्ट ओवैसी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय वस्तुत: सर्वोच्च है और अंतिम हैं, लेकिन उससे भी गलती हो सकती है। हैदराबाद में शनिवार रात एक जनसभा को संबोधित करते हुए एआईएमआईएम चीफ ने कहा था कि अगर बाबरी मस्जिद तब वैध थी तो इसकी जमीन उन्हें क्यों दी गई जिन्होंने इसे ढहाया। अगर यह अवैध थी तो इस पर मामला क्यों चल रहा है और आडवाणी के खिलाफ मामला वापस लिया जाए। अगर यह वैध है तो इसे मुझे दे दीजिए।
ओवैसी ने आगे कहा कि यह एक मूलभूत सवाल है, हम लोग इस फैसले से खुश नहीं हैं। बाबरी मस्जिद मेरा कानूनी हक है। मैं मस्जिद के लिए लड़ाई लड़ रहा हूं, जमीन के लिए नहीं। रविवार को ओवैसी ने ट्वीट किया कि फिर आज एक मुस्लिम क्या देखता है? वहां कई साल से एक मस्जिद थी, जिसे ढहा दिया गया। अदालत ने उस कथित निष्कर्ष पर कि जमीन रामलला से संबंधित है, उस जगह पर निर्माण की इजाजत दी है।अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि जमीन (वैकल्पिक) देकर हमें अपमानित किया जा रहा है। हमारे साथ भिखारियों जैसा बर्ताव नहीं करें। हम लोग भारत के सम्मानित नागरिक हैं। यह लड़ाई कानूनी हक के लिए है।