-इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस(आईसीजे) ने अभी सुनाया ऐतिहासिक फैसला
–भारत के हक में आया फैसला
समाचार ऑनलाइन- भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से जुड़े मामले में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस(आईसीजे) ने आज अपना फैसला सुना दिया है. यह फैसला भारत के हक में आया है. इंटरनेशनल कोर्ट ने कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है. इस फैसले का देश की जनता पिछले कई सालों से इंतजार कर रही थी. इस खबर के मीडिया में आते ही देश में ख़ुशी की लहर है.
इस बहुप्रतीक्षित मामले की सुनवाई नीदरलैंड में द हेग के ‘पीस पैलेस’ में सार्वजनिक सुनवाई हुई है. कोर्ट के प्रमुख न्यायाधीश अब्दुलकावी अहमद यूसुफ ने यह फैसला पढ़कर सुनाया है.
गौरतलब है कि पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जाधव को मौत की सजा सुनाई थी, जिसका भारत ने विरोध किया था. बाद में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत की सजा को भारत ने आईसीजे में चुनौती दी थी, जिसमें भारत को आज सफलता मिली.
जासूसी का लगाया आरोप
पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (49) को मौत की सजा सुनाई थी. जाधव पर इस अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप लगाए थे, जिन्हें भारत हमेशा बेबुनियाद बताता रहा है.
भारत ने खटखटाया अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट का दरवाजा
पाकिस्तान से जाधव को रिहा करने के लिए भारत की तरफ से बार-बार अपील की गई , जिन्हें पाकिस्तान द्वारा खारिज किया जाता रहा. फिर भारत ने इस संबंध में वाणिज्य दूतावास संबंधों पर वियना समझौते का खुला उल्लंघन का आरोप लगाया. और आखिर में 8 मई 2017 को हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
The Court has, however, rejected most of the remedies sought by India, including annulment of military court decision convicting Jadhav, his release and safe passage to India pic.twitter.com/dxyMcHHAYW
— Reema Omer (@reema_omer) July 17, 2019
And the decision in the #Jadhav Cade is out!
ICJ has ruled in favour of India on merits, affirming Jadhav’s right to consular access and notification
The Court has directed Pakistan to provide effective review and reconsideration of his conviction and sentences pic.twitter.com/DE3dAb9eIv
— Reema Omer (@reema_omer) July 17, 2019
The Court has also said that Jadhav’s death sentence should remain suspended until Pakistan effectively reviews and reconsiders the conviction/sentence in light of Pakistan’s breach of Art 36(1) i.e. denial of consular access and notification pic.twitter.com/nfTbAEQ0q8
— Reema Omer (@reema_omer) July 17, 2019