नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : कृषि कानूनों के खिलाफ तीन हफ्तों से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे किसान आज मंगलवार को सरकार से वार्ता पर फैसला कर सकते हैं। सरकार ने 39 किसान संगठनों को वार्ता करने और खुद तारीख तय करने की चिट्ठी लिखी है। केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया था। सरकार ने यह भी कहा था किसान संगठन अपनी पसंद से कोई भी तारीख चुन सकते हैं। ऐसे में इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि किसान संगठनों की आज की बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्ताव को लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है।|
इस बीच, किसान नेताओं ने सोमवार को कहा था कि अगर सरकार ‘ठोस समाधान’ पेश करती है तो वे हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन दावा किया कि वार्ता के लिए अगली तारीख के संबंध में केंद्र के पत्र में कुछ भी नया नहीं है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि वह नए कृषि कानूनों में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर बात करना चाहती है। राकेश टिकैत ने कहा है कि हम सरकार को समर्थन देने वाले किसान संगठनों से मुलाकात करेंगे। हम उनसे यह जानेंगे कि उन्हें नए कृषि कानूनों में क्या फायदा नजर आ रहा है, साथ ही पूछेंगे कि अपनी फसलें बेचने के लिए कौनसी टेक्नॉलजी इस्तेमाल कर रहे हैं।
सरकार और किसान संगठनों के बीच अबतक 5 दौर की बातचीत हुई है, जो बेनतीजा रही है। पांचवें दौर की बातचीत के बाद 9 दिसंबर को वार्ता स्थगित हो गई थी, क्योंकि किसान यूनियनों ने कानूनों में संशोधन और न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया था।
उधर, कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हरियाणा और उत्तरप्रदेश से लगी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसान ने क्रमिक भूख हड़ताल कर रहे हैं। संयुक्त मोर्चा ने सोमवार से 11-11 किसानों की क्रमिक भूख हड़ताल और 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा-पंजाब मार्ग में टोल मुक्ति का ऐलान कर आंदोलन अभी जारी रखा है।