कोलकाता। समाचार ऑनलाइन
भारत के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी को अब अपनी पहली महिला फुटबॉल टीम मिल गई है जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है। ‘अमरा पडाटिक’ नाम की यह टीम अगस्त महीने के पहले सप्ताह से ट्रेनिंग शुरू करेगी। महिला फुटबॉल टीम बनाने का प्रयास सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़नेवाली दरबार समन्वय कमिटी ने शुरू किया है। यह कमिटी रही है। कमिटी फुटबॉल के जरिए इन बच्चियों पर उनकी मां के पेशे की वजह से लगे धब्बे को मिटाने का प्रयास कर रही है।
नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली जोया शेख फुटबॉल खेलना और देखना पसंद करती हैं। हाल ही में रूस में हुए फीफा विश्वकप में उनकी पसंदीदा टीम बेल्जियम के हार जाने पर वह थोड़ा निराश हैं। जोया को इस खेल में अपने पुरुष दोस्तों को खेलते हुए देखकर रुचि जगी थी। उनने कहा, पहले तो मैं थोड़ा हिचकिचाई लेकिन बाद में मैंने सोचा कि यदि लड़के खेल सकते हैं तो बिना सामाजिक दबाव में आए मैं क्यों नहीं। इस विचार ने मुझे फुटबॉल खेलने के लिए प्रेरित किया। पढ़ाई के बाद जब भी मुझे समय मिलता है, मैं फुटबॉल खेलती हूं।
इस टीम की एक और सदस्य आंखी दास रोनाल्डो की फैन हैं। कक्षा 9 में पढ़नेवाली आंखी एक प्रोफेशनल फुटबॉलर बनना चाहती हैं। वह रोनाल्डो की तरह ही कड़ी मेहनत करना चाहती हैं। आंखी कहती हैं, लड़कियों के फुटबॉल नहीं खेलने का प्रतिबंध पुरुषों ने बनाया है। पूर्व की सोच को बदलने का यह महत्वपूर्ण समय है। साथ ही यह साबित करने का कि लड़कियां लड़कों की तरह ही पूरी शिद्दत के साथ फुटबॉल खेल सकती हैं।आंखी की मां भी उसकी इच्छा को पूरी करने में मदद करती हैं। उन्होंने कहा कि अब लड़कों और लड़कियों में शायद ही कोई अंतर बचा हो। मैं चाहती हूं कि मेरी बेटी एक सम्मानपूर्ण जीवन जीयें।
कमिटी के सलाहकार समरजीत जना ने बताया कि फुटबॉल टीम बनाने का विचार खुद इन लड़कियों की तरफ से आया था। फीफा वर्ल्ड कप को लेकर उनमें काफी उत्साह था। कई लड़कियों के फोन आते थे और वे बाद में मेरे पास आईं और कहा कि वे फुटबॉल खेलना चाहती हैं। हांलाकि लोग क्या कहेंगे, यह सोचकर वह थोड़ा झिझक रही थीं। इसलिए मैंने सोचा कि यह सामाजिक धारणा तोड़ने का यह सबसे अच्छा समय है कि फुटबॉल केवल लड़के खेल सकते हैं।