दरअसल, बिहार की राजनीति में नौकरशाही का दखल दशकों से रहा है । नौकरशाह से नेता बनने वालों की फेहरिस्त भी बड़ी है । लोकसभा चुनाव में थोड़ा ही समय बचा है । एनडीए और महागठबंधन से टिकट की दावेदारी हो रही है । दावेदारों की भीड़ में सरकारी सेवा के बाद राजनीति की मेवा खाने की इच्छा रखने वाले नौकरशाह भी शामिल हैं । रिटायर्ड हुए आइपीएस अधिकारी अशोक कुमार गुप्ता का प्रचार टैंपो और इ-रिक्शा पर उनके नाम का पोस्टर चिपका कर हो रहा है । [पोस्टर में उन्होंने खुद को पटना साहिब से लोकसभा का भावी प्रत्याशी के रूप में पेश किया है । बुधवार को वह गया से लौट रहे थे और लौटते ही एक चुनावी मीटिंग में व्यस्त हो गये। एनडीए और महागठबंधन के नेताओं की उनपर पूरी नज़र है । वह नोनियर वैश्यों में अपनी पैठ बनाने में पूरी ताकत लगा रहे हैं।
आशीष रंजन और रामय्या पहले लड़ चुके हैं चुनाव
पंचम लाल महागठबंधन के टिकट पर सुरक्षित सीट से (गोपालगंज या हाजीपुर ) से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे । बिहार के डीजीपी रहे आशीष रंजन सिन्हा ने 2014 में कांग्रेस की टिकट पर नालंदा से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वह सफल नहीं हो सके । अब वह भाजपा में शामिल हो चुके हैं । 2019 के चुनावी समर में उतरेंगे, यह राज नहीं खोल रहे हैं । रिटायर्ड आईएएस अधिकारी केपी रामय्या 2014 में जेडयू के टिकट पर सासाराम लोसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं।
पटना : कई अफसर बन चुके हैं सत्ता के सिरमौर