पुणे में ‘कोवैक्सीन’ का उत्पादन करने हेतु हाईकोर्ट ने दी मंजूरी

संवाददाता, पुणे। महामारी कोरोना की रोकथाम के लिए कारगर साबित प्रतिबंध वैक्सीन की किल्लत के हालातों में एक राहतभरी खबर आयी है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारत बॉयोटेक की सहयोगी कंपनी बायोवेट प्राइवेट लिमिटेड को जीवन रक्षक कोविडरोधी टीके ‘कोवैक्सीन’बनाने के लिए पुणे के निकट हवेली तहसील में मांजरी खुर्द गांव की 11.58 हेक्टर जमीन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। कंपनी ने हाईकोर्ट को स्वीकृति पत्र देकर आश्वस्त किया कि जमीन का उपयोग सिर्फ़ टीका बनाने के लिए करेगी।
असल में हाईकोर्ट में कंपनी को आवंटित जमीन वन भूमि है या नहीं और जमीन का आवंटन 1973 में नियमों के तहत किया गया है अथवा नहीं को लेकर कानूनी विवाद चल रहा है। याचिका में मुख्य रूप से जमीन को लेकर जुलाई 2020 के उप वन संरक्षक अधिकारी के निर्णय को चुनौती दी गई है। इस बीच याचिका के प्रलंबित रहते कंपनी ने पिछले माह एक आवेदन दायर किया था। इसके तहत कंपनी ने आग्रह किया था कि कोवैक्सीन, बीएसएल 3 वैक्सीन, एफएमडी तैयार करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट उत्पादन के लिए तैयार है। मशीन भी लग चुकी है । इसलिए राज्य सरकार को जमीन से जुड़ी अनुमति प्रदान करने और कार्य शुरु करने से संबंधित अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया जाए।
न्यायमूर्ति के के तातेड़ व न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आरडी सोनी ने कहा कि वर्तमान में कोरोना के टीके की भारी कमी महसूस की जा रही है। सरकार ने 18 से 44 साल वालोंका भी टीकाकरण करने का निर्णय लिया है। ऐसे में याचिकाकर्ता को जीवन रक्षक टीके कोवैक्सीन व अन्य टीके के उत्पादन के लिए जमीन के इस्तेमाल व जमीन में ढांचागत बदलाव की अनुमति देना राष्ट्रहित में होगा। इससे टीके की जरूरत के हिसाब से मांग भी पूरी हो सकेगी। क्योंकि कंपनी काफी तेजी से बड़ी संख्या में टीके के उत्पादन की क्षमता रखती है।
राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि महाराष्ट्र में कोविड की स्थिति को देखते हुए उन्हें याचिकाकर्ता को जमीन के इस्तेमाल की इजाजत देने में दिक्कत नहीं है किंतु कंपनी इस बारे में सरकार द्वारा दर्शायी गई सहमति व कोर्ट की अनुमति के आधार पर जमीन में अधिकार के बारे में भविष्य में किसी प्रकार का दावा नहीं करेगी। इसके साथ ही जमीन का इस्तेमाल कोवैक्सीन टीके के लिए ही किया जाएगा। कंपनी दूसरे उद्देश्य के लिए जमीन का इस्तेमाल नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि कंपनी को इस बारे में स्वीकृत पत्र देने का निर्देश दिया जाए। इसके तहत कंपनी ने कोर्ट के सामने स्वीकृत पत्रदिया है।