पति देश के लिए बेवजह शहीद हो गए; बेटी को स्कूल में प्रवेश दिलाने में नाकाम वीरपत्नी की हताशा 

नांदेड़, 29 जनवरी -बेटी को अच्छे स्कूल में शिक्षा मिले और वह बड़ा अधिकारी बने. ऐसे सपने देखने वाली शहीद जवान की पत्नी को निराशा हाथ लगी है. उन्होंने दुःख जाहिर करते हुए कहा है कि पति देश के लिए बेवजह शहीद हो गया. यह दुःख शहीद जवान संभाजी कदम की पत्नी शीतल कदम ने जाहिर किया है.

मिली जानकारी के अनुसार नांदेड़ जिले की वीर पत्नी शीतल कदम पिछले साल भर से बेटी की पढाई के लिए स्कूल में प्रवेश के लिए दर दर की ठोकरे खा रही है. लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली। इस पर शीतल कदम ने कहा कि मैं जहा भी गई वहां हमसे बात ही नहीं की जा रही है. कई पत्र लेकर गई लेकिन कोई जवाबी नहीं मिला। स्कूलों की तरफ से कहा गया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
संभाजी कदम नांदेड़ जिले के जानापुरी गांव के शहीद जवान है. जम्मू कश्मीर में 2016 में वह शहीद हो गए थे. उनके अंतिम संस्कार में हज़ारो लोग जुटे थे. उनकी तेजस्विनी नाम की बेटी है. उसकी उम्र 6 से 7 साल है. शहीद की पत्नी का सपना बेटी को बड़ा अधिकारी बनाने का है. इसके लिए वह बेटी का अच्छे स्कूल में प्रवेश का प्रयास कर रही है.
नांदेड़ में फेमस ज्ञानमाता विद्याविहार नाम का इंग्लिश स्कूल है. पिछले वर्ष मार्च में वह इस स्कूल में बेटी का एडमिशन  कराने के लिए गई थी. उस वक़्त उन्हें कहा गया था कि यहां एडमिशन नहीं हो सकता है. आप जनवरी महीने में आये. जनवरी में फिर से शीतल कदम स्कूल गई लेकिन कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला। इसके बाद शीतल जिला सैनिक कार्यालय से शिफारिस पत्र लेकर स्कूल गई लेकिन इसके बावजूद उनके मामले में ध्यान नहीं दिया गया. वीर पत्नी को स्कूल के संचालक से भी मिलने नहीं दिया गया. पूछा भी नहीं गया. बैठने तक की जगह नहीं दी गई. पीने का पानी भी नहीं पूछा गया.
इसके बाद हताश शीतल कदम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं शहीद जवान की पत्नी हूं।  इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई. हमें चले जाने के लिए कहा गया. उन्होंने कहा कि पति बिनाकारण ही शहीद हो गए. उनके रहने पर हम मजबूत थे. उनका बलिदान व्यर्थ गया. इस पुरे मामले पर राज्य के शिक्षा मंत्री दखल देते हुए वीर पत्नी को न्याय दिलाएंगे क्या ? ये देखना होगा।