अंदर की बात! अजीत पवार ने क्यों की बगावत? क्यों छोड़ा शरद पवार का साथ? जानें

मुंबई: समाचार ऑनलाइन– NCP नेता अजीत पवार ने अचानक अपनी पार्टी से बगावत कर, भाजपा को पॉवर में ला दिया. अपने इस कदम से अजीत पवार ने अपने चाचा और पार्टी अध्यक्ष शरद पवार को धोखा दे दिया है.  शरद पवार ने भी यह स्पष्ट कर दिया था कि, यह अजीत पवार का निजी फैसला है. लेकिन यहां सवाल यह पैदा होता है कि, अजीत पवार ने अचानक ऐसा क्यों किया? और शरद पवार से बगावत कर ली?

कई बार शरद पवार और अजीत पवार के बीच मनमुटाव या नाराजगी की छोटी-छोटी खबरें सुनने में आती रही हैं. अजीत पवार ने कई बार राज्य की राजनीति को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है.  दिल्ली में सक्रियता के चलते शरद पवार ने सुप्रिया सुले को भी दिल्ली में ही सेटल कर दिया, जबकि राज्य की कमान अजीत पवार के हाथों में सौंप दी. इसके बावजूद चाचा-भतीजे में तनातनी जारी रही.

विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद किसी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं था. शिवसेना ने मुख्यमंत्री के पद पर आक्रामकता दिखाते हुए भाजपा के साथ एक स्टैंड लिया, जिसे सभी ने देखा. इसके बाद राज्य में एक नया शक्ति संघर्ष शुरू हो गया. शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर सत्ता स्थापित करने की कोशिश की. पहले कहा गया कि शिवसेना के पास 5 साल के लिए मुख्यमंत्री पद होगा.  लेकिन बाद में शिवसेना ने कहा कि वे एनसीपी को ढाई साल के लिए सीएम पद देने के लिए तैयार हैं.

सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक शिवसेना और एनसीपी के बीच ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर हुई डील की जानकारी अजीत पवार को किसी बिजनेसमैन से मिली थी. इस बात का उन्हें बुरा लगा, क्योंकि पहले उन्हें इस फैसले की जानकारी शरद पवार द्वारा नहीं दी गई थी. इसलिए उनके मन में शंका पैदा हुई कि शरद पवार अगले ढाई साल के लिए सुप्रिया सुले को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, इसलिए उन्हें इस जानकारी से दूर रखा गया. इन सभी शंकाओं को अजीत पवार ने सच मान लिया और बगावती तेवर अपना लिए.

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