Lalbabu Gupta | विश्व श्रीराम सेना के संस्थापक लालबाबू गुप्ता राज्यपाल के हाथों पुरस्कृत

पिंपरी : Lalbabu Gupta | देश के प्रथम राष्ट्रपति और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ.राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) की जयंती के अवसर पर भोजपुरी पंचायत की ओर से आयोजित डॉ.राजेंद्र प्रसाद स्मृति सम्मान पुरस्कार (Dr. Rajendra Prasad Memorial Award) वितरण कार्यक्रम में विश्व श्रीराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालबाबू गुप्ता (Lalbabu Gupta) का राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी (Governor Bhagat Singh Koshyari) के कलकमलों द्वारा समाजसेवा पुरस्कार (social service award) से सम्मान हुआ। इस कार्यक्रम में पार्श्व गायक उदित नारायण (Udit Narayan) ने भोजपुरी गीत प्रस्तुत करके सबको मंत्रमुग्ध कर दिए। उन्होंने अपना मनोगत भोजपुरी भाषा से आरंभ किया और..ऐसा देश है मेरा..गाकर समा बांधा।

 

डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) की जयंती की पूर्व संध्या पर भोजपुरी पंचायत द्वारा राजभवन में भोजपुरी दिवस और राजेंद्र प्रसाद जयंती का आयोजन किया गया। इस मौके पर अभियान संस्था के अध्यक्ष व पूर्व राज्यमंत्री अमरजीत मिश्रा (Amarjit Mishra), भोजपुरी पंचायत के संपादक कुलदीप श्रीवास्तव (Kuldeep Srivastava) सहित भोजपुरी साहित्य, सिनेमा व समाजसेवा सहित विविध क्षेत्र के मान्यवर उपस्थित थे। इस समारोह में मशहूर पार्श्व गायक उदित नारायण, लालबाबू गुप्ता समेत विभिन्न क्षेत्रों की कई जानी मानी हस्तियां डॉ आजम बंदर खान, अभय सिन्हा, प्रो जयकांत सिंह, आंनद सिंह, अंजना सिंह, लोकेश सोनी, अमरजीत मिश्रा व रत्नाकर कुमार का सम्मान हुआ।

 

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने डॉ.राजेंद्र प्रसाद के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे महामानव, प्रख्यात विद्वान का वर्तमान समय में समय समय पर जन्म होना चाहिए। राजेंद्र बाबू की जीवनी के बारे में बच्चों को पढाना चाहिए। इंसान विचार, ज्ञान से विनम्र बनता है घमंडी नहीं होता। क्षेत्रिय भाषाओं को बढावा मिलना चाहिए। राष्ट्रभाषा हिंदी अगर माँ है तो मराठी बहन के रुप में मौशी है। राजेंद्र बाबू प्रखंड विद्धान और कई भाषाओं के ज्ञाता थे। देश के प्रथम राष्ट्रपति, संविधान सभा के अध्यक्ष, कांग्रेस के अध्यक्ष समेत कई सम्मानित पदों पर रहे। अंग्रेजी भाषा में प्रभुत्व होने के बाजूद भोजपुरी भाषा के प्रसार,प्रचार,राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाने के लिए तत्पर रहे। डॉ.राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार के सिवान जिले (तत्कालीन सारण जिला)के जीरादेई नामक गाँव में माता कमलेश्वरी देवी और पिता महादेव सहाय के परिवार में हुआ था। राजेन्द्र बाबू छात्र जीवन से ही राष्ट्रभक्ति और स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए स्वयं को समर्पित कर चुके थे और एक सनातनी हिन्दू धर्मावलंबी के रूप स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति के पद को सुशोभित करते हुए भारतीय सनातन संस्कृति और धर्म के सम्पोषण हेतु अनेक कालजयी कार्य किए। मूर्ति पूजा, वर्णाश्रम, गौ-रक्षा, पुनर्जन्म और कर्म आदि पर अटूट आस्था रखने के कारण उन्हें एक रूढ़िवादी हिन्दू माना जाता था। मातृभाषा भोजपुरी के उज्जवल भविष्य के प्रति मेरी भी मांगलिक शुभकामनाएं हैं। इस भाषा साहित्यिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत ही समृद्ध है आगे और भी समृद्ध हो। समाज और सरकार के स्तर पर इस भाषा भोजपुरी को भी वे सभी सुविधाएं और मान्याएं प्राप्त हों ऐसा राज्यपाल ने अपने मनोगत में कहा।

 

फ़िल्मसिटी मुंबई के पूर्व उपाध्यक्ष अमरजीत मिश्रा ने डॉ राजेंद्रप्रसाद को अपना श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि देवभूमि से महाराष्ट्र की पावन धरती पर पधारे महामहिम ने राजभवन को जनभवन बनाया,सबसे पहले उनको सविनम्र प्रणाम। गांधीजी की अगुवाई में 1917 में जो चंपारण सत्याग्रह हुआ था उसके मुख्य कर्ताधर्ता राजेंद्र बाबू ही थे। इस आंदोलन से गांधीजी को महात्मा गांधी के रुप में संबोधन होने लगा। आंदोलन किसानों के हित में था।गांधीजी के सबसे करीब सरदार भाई पटेल और महात्मा गांधी उन दिनों हुआ करते थे। उनका अपनी मातृभाषा के प्रति ज़बर्दस्त प्रेम था इसीलिए पहली भोजपुरी फ़िल्म …गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ईबो… का विशेष शो डॉ राजेंद्र बाबू के लिए कराया गया था। ऐसी फिल्मे वर्तमान में बननी चाहिए। सर्वांगीण विकास के लिए आपकी मूलभाषा वरदान है।

 

विश्व श्रीराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालबाबू गुप्ता (Lalbabu Gupta) ने अपने सम्मान के जवाब में कहा कि समाजिक दायित्व के रूप मे समाज में हमें अपने मन,वचन और कर्म द्वारा नित्य समाज हित में कार्य करते रहना चाहिए। समता के भाव से समाजिक कार्यों को बल मिलता है। मानवता भारतीय परंपरा, सभ्यता एवं भारतीय संस्कृति है। हमारे संस्कृति में मानव बनने एवं मानवता से ओतप्रोत होकर समाजिक कार्य करने का संदेश दिया गया है इसी का निर्वाहन करते है। हम विश्व श्रीराम सेना समाजिक संगठन (Vishwa Shri Ram Sena Social Organization) के उद्देश्यों को लेकर कार्य करते रहे है। इस समाज सेवा पुरस्कार ने हमारे समाजिक दायित्वों के प्रति दृढ़ता ,समाज के प्रति और जवाबदेही प्रदान की है। आज सभी को आगे आना चाहिए एवं अपने समाज के लिए कार्य करना चाहिए । आधुनिक युग में मानवता ही विकास का मूल है जो स्वर्णिम युग (the Golden Age) का पथ है आइए हम सभी राष्ट्रीय एकता राष्ट्र विकास (National Integration Nation Development) में आगे बढ़े एवं सभी को प्रेरित करें।

 

 

 

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