लालू यादव पर जेल से टिकट बांटने का लगा आरोप, जेडीयू ने चुनाव आयोग को चिट्टी लिखी 


पटना : समाचार ऑनलाइन –
बिहार में राजनीति लालू यादव एक ऐसा नाम बन गए है कि जेल में रहने के बावजूद वह हमेशा  चर्चा में बने रहते है। कुछ समय पहले आरोप लगा था कि लालू यादव जेल में मोबाइल उसे करते है। अब जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू ) ने आरोप लगाया है कि लालू यादव जेल से अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के टिकट बांट रहे हैं। जेडीयू ने इस मामले की शिकायत चुनाव आयोग से करते हुए राजद के सभी उम्मीदवारों का नामांकन रद्द करने की मांग की है।

जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने आयोग को पत्र लिखा है. पत्र में कहा है कि जेल में रहते हुए लालू यादव ने लोकसभा चुनाव में अपने हस्ताक्षर से ही टिकट बांटा है। सवाल किया गया है कि क्या उसके लिए कोर्ट से इजाजत ली गई है।

लालू यादव नियमों की अनदेखी कर रहे
* जेडीयू ने पत्र में लिखा है कि लालू चेहरा घोटाला मामले में कानून की विभिन्न  धाराओं में रांची के होटवार जेल में बंद है। वे क्रिमिनल केस में दोषसिद्ध अपराधी है न कि किसी जनांदोलन के नेता है। फ़िलहाल हेल्थ की वजह से रांची के रिम्स पेइंग वार्ड  में इलाज करा रहे हैं।

* जेल मैन्युअल में अस्पष्ट है कि लालू को केवल परिजन से मिलना है। वह भी सप्ताह में सिर्फ एक दिन शनिवार को। इसके लिए पहले से इजाजत लेनी पड़ती है। नीरज कुमार ने आरोप लगाया की लालू के हस्ताक्षर से टिकट बांटे गए है। अगर कोर्ट से इजाजत नहीं ली गई लालू यादव दवारा बांटे  टिकट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के नामांकन को रद्द किया जाना चाहिए।

जेल से चुनाव प्रभावित  करने का आरोप
उन्होंने लिखा है कि जेल मैन्युअल के हिसाब से लालू को मुलाकात के दौरान राजनैतिक बातें नहीं करनी थी लेकिन वे तो राजनीतिक उद्देश्य से सिर्फ राजनीतिक हस्तियों से ही मिलते रहे। यही नहीं लालू लगातार सोशल मीडिया पर भी अपने विचार व्यक्त करते हैं, जिससे चुनाव को प्रभावित किया जा रहा है। अगर का ट्विटर हेंडल कोई दूसरा व्यक्ति चला  रहा है, तब भी लालू को बताना चाहिए कि लालू जेल से अपने विचार किससे साझा करते हैं।

जेल अधीक्षक की इज्जाजत से ऐसा किया जा सकता है
* क़ानूनी जानकारों के मुताबिक जेल अधीक्षक की स्वीकृति के बिना कोई भी कैदी, जेल से किसी भी तरह की सामग्री बाहर नहीं भेज सकता है ।  पटना हाई कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता पीके वर्मा ने कहा’ लालू प्रसाद चारा घोटाले में सजायफ्ता है ।  वह राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है ।  जेल में रहते हुए अध्यक्ष के नाते अगर वे अपने हस्ताक्षर पार्टी के उम्मीदवारों के लिए जेल अधीक्षक की स्वीकृति के बिना चुनाव चिन्ह आवंटित करते हैं तो उसे वैध नहीं माना जायगा।

* अगर लालू यादव जेल अधीक्षक की स्वीकृति से चुनाव चिन्ह आवंटित करते हैं तो उसे अवैध नहीं माना जायगा। जनप्रतिनिधित्व कानून में चुनाव चिन्ह आवंटित करने पर रोक नहीं है। चूंकि लालू यादव अभी जेल में है इस लिए उनपर जेल का मैन्युअल लागू होगा।

* अधिवक्ता प्रभाकर टेकरीवाल और शशिभूषण कुमार  मंगलम ने भी पीके वर्मा की राय पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि जेल में बंद कोई कैदी अगर वकालतनामा पर अपने हस्ताक्षर करना चाहता है या किसी प्रकार का कोई आवेदन देना चाहता है तो इसे जेल अधीक्षक से न केवल स्वीकृति लेनी पड़ती है बल्कि उनका हस्ताक्षर और मुहर भी जरुरी है।

इस पुरे मामले पर लोजपा सांसद चिराग पासवान ने कहा कि राजद की पूरी  की पूरी पार्टी ही जेल से चलाई जा रही है। सभी को पता है कि प्रत्याशी जेल में  मिलने जा रहे हैं। हम पब्लिक डोमेन में इन बातों को रखेंगे।

वही राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि जेडीयू के लोग बेचैनी में है। जब लोग न्यायिक हिरासत में चुनाव लड़ सकते हैं तो जेल में रहकर टिकट बांटना कोई गुनाह नहीं है। राजद ने लालू यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना रखा है तो टिकट क्यों नहीं बाटेंगे? पहले और दूसरे चरण में लोकसभा के चुनावों में करारी हर के अंदेशे में जेडीयू नेताओं के होश ठिकाने आ गए है।