नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – लोकसभा चुनाव 2019 के सभी चरणों के मतदान खत्म हो चुके हैं। रविवार शाम आए एग्जिट पोल्स ने एक बार फिर मोदी सरकार की भविष्यवाणी की है ।सभी एग्जिट पोल्स की मानें तो मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। बता दें कि 23 मई को असली परिणाम आना है। जिसके बाद यह साफ़ हो जायेगा कि देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होंगा ।
चुनाव खत्म, अब एग्जिट पोल्स भी आ गए,अब सबकी नज़र 23 मई के दिन टिकी है। उसी दिन लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम आना है। इस दौरान पूरे देश की नजरें कई हाईप्रोफाइल व चर्चित राजनेताओं के सीटों पर भी टिकी रहेंगी।
देश के इन सीटों पर रहेंगी सबकी नजर –
अमेठी से राहुल गांधी vs स्मिर्ति ईरानी –
उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट चर्चित सीटों में से एक है। राहुल गांधी पर इस गढ़ को बरकरार रखने की चुनौती है। उन्हें टक्कर देने के लिए जहां बीजेपी ने स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा है तो वहीं सपा-बसपा गठबंधन ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। एग्जिट पोल के मुताबिक, अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को कड़ी टक्कर दे रही हैं। यहां दोनों के बीच कांटे की टक्कर है और राहुल गांधी की जीत स्पष्ट नहीं हैं।
रायबरेली से सोनिया गांधी vs दिनेश प्रताप सिंह –
कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में इस बार मुकाबला संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कभी कांग्रेस में रहे दिनेश प्रताप सिंह के बीच में है। दरअसल, दिनेश सिंह कांग्रेस से विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं लेकिन पिछले वर्ष उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था और इस बार भाजपा के टिकट पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं।
आजमगढ़ से अखिलेश यादव vs दिनेश लाल यादव –
आजमगढ़ में दो लोकसभा सीटों आजमगढ़ और लालगंज संसदीय सीट के लिए चुनाव हुए हैं। इस बार आजमगढ़ संसदीय सीट जातीय समीकरण में उलझी हुई है। इसका कारण कोई और नहीं बल्कि भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ है। फिल्मों से राजनीति में एंट्री करते ही ‘निरहुआ’ ने अखिलेश के ‘यादव फैक्टर’ को गड़बड़ कर दिया। जातीय समीकरण को सेट कर भाजपा भी इस सीट पर एक बार अपनी परचम लहराना चाहती है। इस बार भी सपा-बसपा गठबंधन को यादव, मुस्लिम और दलित वोटरों पर भरोसा है। वहीं भाजपा परंपरागत मतों के साथ यादव और दलित वोटरों में सेंधमारी कर रही है। बता दें कि आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र में यादव, मुस्लिम और दलित मतदाताओं की संख्या 49 प्रतिशत है। शेष 51 प्रतिशत में सवर्ण और अन्य मतदाता है।
लखनऊ से राजनाथ सिंह vs पूनम सिन्हा –
लखनऊ सीट के नतीजे भी बेहद रोचक लग रहे है। शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा समाजवादी पार्टी से यहां चुनाव लड़ रही है। उनके सामने बीजेपी के अनुभवी वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह है। पूनम के लिए ये लड़ाई जीतना आसान नहीं है । मुस्लिम वोटरों के अलावा यहां चार लाख कायस्थ मतदाता हैं और 1.3 लाख सिंधी मतदाता हैं। यह पूनम सिन्हा की उम्मीदवारी को बड़ी ताकत प्रदान कर सकता है।
पीलीभीत से फ़ीरोज़ वरुण गांधी vs हेमराज वर्मा –
पीलीभीत लोकसभा सीट पर देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर पिछले तीन दशक से संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी और बेटे वरुण गांधी का ही कब्ज़ा रहा है। एक बार फिर इस सीट पर वरुण गांधी मैदान में हैं। पिछली बार उनकी मां मेनका गांधी यहां से जीतीं थीं। इस बार वरुण का मुकाबला सपा-बसपा के संयुक्त प्रत्याशी हेमराज वर्मा से हैं।
रामपुर से आज़म खान vs जयाप्रदा –
रामपुर में आजम खान और जयाप्रदा के बीच सीधा मुक़ाबला है। इस बार रामपुर में नौ बनाम दो का मुक़ाबला है, मतलब जहां आज़म खान रामपुर से 9 बार विधायक रह चुकेे हैं वहीं जया प्रदा दो बार सांसद रही है। पिछले कुछ समय से इस सीट की खबरें चर्चा में रही है। पक्ष-विपक्ष पर आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे है।
बेगुसराय से गिरिराज सिंह vs कन्हैया कुमार –
बेगूसराय से बीजेपी के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ सीपीआई ने कन्हैया कुमार को मैदान में उतारा है। एग्जिट पोल के मुताबिक, बेगूसराय में सीपीआई के प्रत्याशी कन्हैया कुमार को हार का मुंह देखना पड़ सकता है। यहां बीजेपी के कद्दावर नेता और प्रत्याशी गिरिराज सिंह उन्हें शिकस्त देते हुए दिखाई दे रहे हैं।
मधेपुरा से पप्पू यादव vs शरद यादव –
बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट पर इस बार जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन और जेडीयू के दिनेश चंद्र यादव के बीच कांटे का मुकाबला है। कभी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे शरद यादव इस बार आरजेडी से चुनावी मैदान में हैं। बहुजन मुक्ति पार्टी, राष्ट्रवादी जनता पार्टी, आम अधिकार मोर्चा, बलिराजा पार्टी, असली देशी पार्टी और 5 निर्दलीय भी ताल ठोंक कर चुनावी मैदान में हैं।
पटना साहेब से शत्रुघन सिन्हा vs रवि शंकर प्रसाद –
शत्रुघन सिन्हा बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थामते हुए पटना साहेब से इस बार भी लड़ रहे है। वहीं बीजेपी ने पहले ही इस सीट से रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतार दिया है। इससे साफ जाहिर है कि पटना की सियासी रणभूमि में रविशंकर प्रसाद को अपने ही पुराने साथी शत्रुघ्न सिन्हा से कड़ा मुकाबला करना होगा। पटना साहिब लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर कायस्थों का दबदबा है। यहां कायस्थों के बाद यादव और राजपूत वोटरों का बोलबाला है। देखने वाली बात ये होगी की यहाँ बाजी कौन मारता है।
जमुई से चिराग पासवान vs भूदेव चौधरी –
बिहार की जमुई लोकसभा सुरक्षित सीट पर एक ओर एनडीए के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की ओर से चिराग पासवान रेस में हैं। जबकि महागठबंधन ने रालोसपा के भूदेव चौधरी को उम्मीदवार है। माना जा रहा है कि चिराग के लिए भूदेव चौधरी चुनौती बन सकते हैं। बिहार के कद्दावर दलित नेता रामविलास पासवान के पुत्र या यूं कहे कि लोजपा के युवराज चिराग पासवान की सीट जमुई पर पूरे प्रदेश की नजरें टिकी हुई हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में मोदी लहर में चिराग पासवान ने पहली बार इस सीट से भाग्य आजमाया और विजयी हुए। 2019 के चुनाव में पुन: जीत दर्ज करने की चुनौती चिराग पासवान के सामने है। दूसरी और महागठबंधन के भूदेव चौधरी भी 2009 में जदयू के टिकट पर यहां से चुनाव जीत चुके हैं।
गुरुदासपुर से सनी देओल vs सुनील जाखड़ –
बॉर्डर बेल्ट की गुरदासपुर सीट इस बार पंजाब की सबसे हॉट सीटों में से एक बन गई है। यहां मुकाबला मौजूदा सांसद व प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ और बॉलीवुड की नामी हस्ती सन्नी देओल के बीच है। राजनीति में बॉलीवुड के तड़के ने गुरदासपुर की चुनावी जंग को काफी दिलचस्प बना दिया है। देश भर की नजरें इस सीट के नतीजे पर लगी हैं।
साउथ मुंबई से उर्मिला मतोंडकर vs गोपाल शेट्टी –
मुंबई नॉर्थ से उर्मिला की टक्कर भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा सांसद गोपाल शेट्टी से होगी। बता दें मुंबई नॉर्थ सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। उर्मिला को टिकट देने से पहले यह खबर आई थी कि, कांग्रेस की रणनीति के पीछे उनका मराठी होना और फिल्म उद्योग से जुड़ा होना बड़ा कारण है इसीलिए उन्हें टिकट दिया गया है। उर्मिला को बॉलीवुड में ‘छम्मा छम्मा’ और रंगीला ‘गर्ल’ के नाम से जानी जाती हैं। यहां देखनी वाली बात ये होगी की क्या उर्मिला अपना रंग जमा सकती है।
भोपाल से प्रज्ञा ठाकुर vs दिग्विजय सिंह –
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को साम्प्रदायिक सद्भाव और गंगा-जमुनी तहजीब के लिए पहचाना जाता है, मगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद ‘हिंदुत्व’ चुनावी मुद्दा बनने लगा है। भोपाल संसदीय क्षेत्र से लगभग एक माह पहले कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। भोपाल संसदीय क्षेत्र के इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि वर्ष 1984 के बाद से यहां भाजपा का कब्जा है। भोपाल संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए 16 चुनाव में कांग्रेस को छह बार जीत हासिल हुई है। भोपाल संसदीय क्षेत्र में साढ़े 19 लाख मतदाता है, जिसमें चार लाख मुस्लिम, साढ़े तीन लाख ब्राह्मण, साढ़े चार लाख पिछड़ा वर्ग, दो लाख कायस्थ, सवा लाख क्षत्रिय वर्ग से हैं। मतदाताओं के इसी गणित को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था, मगर भाजपा ने प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर ध्रुवीकरण का दांव खेला है।
गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया vs केपी यादव –
मध्य प्रदेश में कमलनाथ-ज्योतिरादित्य सिंधिया की जोड़ी ने मिलकर 15 साल से जमी बीजेपी सरकार को उखाड़ कर कांग्रेसी सरकार का झंडा फहराया था। अब उन्हीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके गढ़ गुना-शिवपुरी में घेरने के लिए बीजेपी ने एक डॉक्टर को मैदान में उतारा है। डॉक्टर केपी यादव पहले कांग्रेस में ही थे और सिंधिया की जीत के राजदार रहे थे लेकिन पिछले उपचुनाव में अपनी अनदेखी के बाद कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए। अब लोकसभा चुनाव में वे उन्हीं सिंधिया के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। जिनके कभी वे साथ थे। 2014 के लोकसभा चुनाव को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सिर्फ सवा लाख वोटों से जीता था। यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 3 पर बीजेपी हावी थी। ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि केपी यादव के उम्मीदवार होने से यादव वोट एकतरफा बीजेपी की झोली में आ सकता है।
उत्तर मध्य मुंबई से पूनम महाजन vs प्रिया दत्त –
इस सीट से भाजपा ने सांसद पूनम महाजन को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने प्रिया दत्त पर भरोसा जताया है जो साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पूनम महाजन से हार गई थीं। पूनम महाजन भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन की बेटी हैं, वहीं प्रिया दत्त दिवंगत अभिनेता व कांग्रेस नेता सुनिल दत्त की बेटी हैं। यही वजह है कि चौथे चरण में इन दोनों उम्मीदवारों के सामने परिवार की सियासी विरासत को बचाने की कड़ी चुनौती है। देखने वाली बात ये होगी की आखिरी बाजी कौन जीतता है।
इन पर भी रहेंगी नज़र –
नरेंद्र मोदी –
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाने वाले नरेंद्र मोदी न सिर्फ सरकार, बल्कि पार्टी का भी चेहरा बने हुए हैं। उनके नेतृत्व में भाजपा यूपी में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के साथ ही पूर्वांचल में दस्तक देने में सफल रही। 2019 के चुनाव में पार्टी का पुराना प्रदर्शन दोहराने का दायित्व भी नरेंद्र मोदी पर है ।
मायावती –
यूपी में सियासी जमीन बचाने की जद्दोजहद में जुटी बसपा को दोबारा उबारने का जिम्मा। दरअसल, पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाई थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी वह तीसरे स्थान पर रही थी। सपा से गठबंधन कर बड़ा रणनीतिक दांव खेला। इसका परिणाम क्या होता है ये देखना बहोत दिलचस्प होगा । हालांकि मायावती २०१९ का चुनाव नहीं लड़ रहीं है |
अरुण जेटली –
अमृतसर में मतदान 19 मई को हुआ। जहां से अरुण जेटली 2014 में लोकसभा चुनाव हार गए थे। एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले चुनाव कार्यक्रम में पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को हुआ। जबकि आखिरी और सातवें चरण का मतदान 19 मई को हुआ। मतगणना 23 मई को होगी।