पुणे, 25 जून : पुणे के आंबिल ओढ़ा की कार्रवाई पर शिवसेना ने जोरदार निशाना साधा है। शिवसेना ने कहा है कि पुणे की डोर फ़िलहाल बिल्डर्स और जमीन माफिआओं के हाथों में चली गई है। पुणे के कदम मुंबई से भी आगे निकल गया है। यह आंबिल ओढ़ा की कार्रवाई से सिद्ध हो गया है। शिवसेना ने सामना में कार्रवाई को लेकर निशाना साधा है।
ऐन बारिश में लोगों को सड़क पर लाने का अमानवीय कार्य
सामना में लिखा गया है कि उद्धव ठाकरे की सरकार बेहद संवेदनशील तरीके से काम कर रही है। जबकि पुणे में गरीबो के घर पर बुलडोजर चलाकर उन्हें बेघर किया जा रहा है। यह बेहद चौंकाने वाला, दुखदाई और मन को दुखी करने वाला है। आंबिल ओढ़ा के नागरिकों की आक्रोश की आवाज सरकार के कानों तक पहुंच गई है। इस परिसर के घरों पर पुणे मनपा के अतिक्रमण विरोधी पथक दवारा कार्रवाई की गई और घर गिराना शुरू किया गया। इस दौरान लोग सड़क पर निकल आये और हाथापाई की तस्वीर न्यूज़ चैनल्स पर दिखने लगी। महिलाओं, छोटे बच्चों बुजुर्गो सभी के आंखों में आंसू थे। मनपा का कहना है कि ये घर गैर क़ानूनी है। क़ानूनी है या नहीं यह बाद में देखा जाएगा लेकिन ऐन बारिश में घर पर बुलडोजर चलाकर लोगों को सड़क पर लाने का अमानवीय कार्य किया गया।
इसके बिना समस्या का समाधान नहीं
यहां के लोगों के घर की समस्या का समाधान किये बिना इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। मुंबई-पुणे जैसे शहर आखिर किसके लिए है। यह तय किये बिना इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता है।
पुणे मनपा में भाजपा की सत्ता है। महापौर मोहोल किसी जानवर के भी मरने पर छाती पीटते हुए उसके जनाजे में पहुंच जाते है. लेकिन आंबिल ओढ़ा के गरीबो के आंसू बह रहे है लेकिन वह शांत बैठे है। बिल्डर जो कोई भी है लकिन उसके फायदे के लिए यह शर्मनाक कार्रवाई की गई। 9 जुलाई तक किसी भी अतिक्रमण पर कार्रवाई नहीं करने का आदेश होने के बावजूद लोगों को बेघर किया गया। मनपा को हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाने की इतनी जल्दी क्यों है ? ऐन बारिश और कोरोना काल में इस तरह की कार्रवाई की कोई जरुरत नहीं थी।
इतनी बड़ी कार्रवाई किसके दिमाग की उपज है
पिछले `15 दिनों से नीलम गोंहे इस मामले को लेकर भागदौड़ कर रही है। मनपा के आयुक्त एसआरए के अधिकारियों से मुलाकात कर रहे है। बगैर कोई विचार किये मनपा दवारा की गई इस कार्रवाई से बहुत सारे लोगों का घर उजड़ गया है। केवल जगह खाली करने के लिए तुगलकी तरीके से बुलडोजर चलाया गया है. बारिश में इस तरह की अमानवीय कार्रवाई नहीं करने के लिए मनपा की बैठक में भाजपा विधायक मुक्त तिलक ने कहा था। इसके बावजूद इतने भयानक तरीके से कार्रवाई करने के पीछे आखिर किसका दिमाग है।
ओढ़ा में रहने वालों को लेकर किसी को होश रहेगा क्या ?
ओढ़ा में घर या झोपड़ियां है। हर साल इन घरों में पानी घुस जाता है। घर बहकर चला जाता है। सांसद गिरीश बापट का यह कहना सही है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि ऐन बारिश में यहां के लोगों को घरों से बेघर कर दिया जाए। इस लोगों को स्थाई घर मिलना चाहिए। उनका सही तरह से पुनर्वसन होने पर ओढ़ा में रहने वालों का किसी को होश रहेगा क्या ?