औरंगाबाद : Maharashtra | मां और बेटे का रिश्ता दुनिया में सबसे श्रेष्ठ रिश्ता माना जाता है। मां अपने बच्चों से निस्वार्थ प्रेम करती है। किसी मुश्किल में फंसने पर अपनी जान की परवाह किये बिना उसे संकट से बाहर निकालती है। ऐसा ही एक उदहारण हाल ही में औरंगाबाद (Maharashtra) में देखने को मिला है. औरंगाबाद (Aurangabad) की एक महिला ने बेटे की जान बचाने के लिए खुद की जान खतरे में डाल दी. उसने अपना ब्लड ग्रुप अलग होने के बावजूद बेटे को किडनी दान (kidney donation) कर अपने बेटे की जान बचा ली है। 22 सितंबर को यह ऑपरेशन सफल रहा। फ़िलहाल मां-बेटे का स्वास्थ्य अच्छा है।
औरंगाबाद के जिला परिषद् में सीनियर सहायक के रूप में कार्यरत किशोर रमेश निकम का 18 वर्षीय एकलौता बेटा प्रतिक कुछ दिनों से बीमार था। उन्होंने बेटे का औरंगाबाद, जलगांव, पुणे और हैदराबाद में प्राथमिक उपचार कराया। लेकिन कोई अंतर नहीं आया। जांच में पता चला कि उसकी दोनों किडनी ख़राब हो गई है। उसकी दिन-प्रतिदिन स्थिति ख़राब होती चली गई। एकलौते बेटे की दोनों किडनी ख़राब होने की बात सुनकर परिवार के पांव के नीचे से जमीन खिसक गई।
तबीयत और बिगड़ने पर डायलिसिस की नौबत आ गई. प्रतिक की जान बचाने के लिए किडनी प्रत्यारोपण की जरुरत थी। लेकिन सवाल यह था कि उसे किडनी देगा कौन ? ऐसे में प्रतिक की मां अनीता निकम ने अपनी जान की परवाह किये बिना किडनी देने का निर्णय। लिया।
मां ने किडनी दान की लेकिन दोनों का ब्लड ग्रुप अलग था. इसकी वजह से जटिलता और बढ़ गई. इसके बावजूद सिग्मा हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉक्टर गणेश बर्नेला, डॉ. सारूक, डॉ. अभय चिंचोले के अथक प्रयास से जटिल ऑपरेशन सफल रहा। डॉक्टर ने बताया कि फ़िलहाल दोनों की हालत ठीक है। अनीता को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज दे दिया गया है।