Maharashtra | मुंबई-गोवा हाईवे पुरा होने तक राज्य में नए प्रोजेक्ट पर रोक, कोर्ट ने सरकार दिए निर्देश

मुंबई (Mumbai News) :  Maharashtra | मुंबई-गोवा राजमार्ग (Mumbai-Goa Highway) को चार लेन बनाने के काम की धीमी गति को देखते हुए उच्च न्यायालय (High Court) ने राज्य सरकार (State Government) को अब तक किए गए कार्यों की समीक्षा करने और परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह परियोजना पूरा होने तक कोई भी नई विकास परियोजना (Maharashtra) की अनुमति नहीं दी जाएगी। मुख्य न्या. दीपांकर दत्ता (Justice. Dipankar Dutta) व न्या. गिरीश कुलकर्णी (Justice. Girish Kulkarni) ने यह फैसला सुनाया।

गोवा हाईवे (Goa Highway) पर नियमित रूप से यात्रा करने वाले यात्री और कारोबारी वकील ओवैस पेचकर ने अदालत (Court) में एक जनहित याचिका दायर की है। पहले नागरिक इस हाईवे का लाभ उठाएं। फिर एक नया प्रोजेक्ट शुरू करें। अदालत ने राज्य सरकार को राजमार्ग पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तीन सप्ताह के भीतर गड्ढों को भरने का भी निर्देश दिया।

21 साल में 2,442 की मौत –

जनवरी 2010 में राजमार्ग चौड़ीकरण (Highway widening) शुरू होने के बाद से अब तक 2,442 लोगों की मौत (Death) हो चुकी है। अदालत ने राज्य सरकार और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को मामले की जांच करने का निर्देश दिया। अदालत (Court) ने राज्य सरकार को दिसंबर तक राजमार्ग के काम की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया।

देरी से यात्रियों को होगी परेशानी –

याचिका में पेचकर ने दावा किया है कि 2018 के बाद से सिर्फ हाइवे चौड़ीकरण का काम ही पूरा हुआ है। पिछले कई सालों से हाईवे चौड़ीकरण का काम चल रहा है। याचिका में कहा गया है कि समय पर काम पूरा नहीं होने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। पेचकर ने अदालत को बताया कि मुंबई-गोवा राजमार्ग (Mumbai-Goa Highway) पर कई ब्रिटिश काल के पुल थे और उनकी हालत बहुत अच्छी नहीं थी। अदालत ने सरकार को ऐसे पुलों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। कोर्ट ने वशिष्ठ नदी पर बनने वाले दूसरे चरण के पुल की प्रगति की जानकारी भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

गड्ढों का मामला 1996 से न्यायालय के समक्ष रखा गया है। बार-बार आदेश देने के बाद भी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं आया है। इसलिए सरकार को गड्ढों को भरने के लिए व्यापक नीति बनानी चाहिए। ऐसा न्यायालय ने कहा है।

 

 

 

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