किसानों के मुद्दे पर घिरी मोदी सरकार को मिला अमेरिका का साथ 

वॉशिंगटन. ऑनलाइन टीम : किसान अडिग हैं, विपक्षी उनके आंदोलन को लगातार हवा दे रहे हैं। दुनिया के कोने-कोने से उनके समर्थन की खबरें आ रही हैं, इस बीच पहली बार अमेरिका की भी प्रतिक्रिया आई है। इस प्रतिक्रिया ने भारत सरकार को बड़ी राहत दी है।  अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने संकेत दिया है कि बाइडन प्रशासन कृषि क्षेत्र में सुधार के भारत सरकार के कदम का समर्थन करता है, जिससे निजी निवेश आकर्षित होगा और किसानों की बड़े बाजारों तक पहुंच बनेगी।
स्थिति : बता दें कि कृषि कानूनों को निरस्त करने, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने तथा दो अन्य मुद्दों को लेकर हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं।

पक्ष : सरकार का कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे।

विपक्ष : दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी।

सरकार का साथ : अब भारत सरकार की हां में हां मिलाते हुए अमेरिका ने भी कहा है कि भारत सरकार के कदम से निजी निवेश आकर्षित होगा और किसानों की बड़े बाजारों तक पहुंच बनेगी।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका वार्ता के जरिए दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान को बढ़ावा देता है तथा उन प्रयासों का स्वागत करता है जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र निवेश के लिए आकर्षित होगा।  प्रवक्ता ने यह भी कहा, ‘हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी सफल लोकतंत्र की पहचान है और भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी यही कहा है।’ याद रहे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी हाल ही में कहा था कि भारत के नए कृषि कानून में कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में ‘उल्लेखनीय कदम’उठाने की क्षमता है।  किसानों के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अभी खतरे में है।