एनसीआर में सस्ते घरों की मांग बढ़ी : नाइट फ्रैंक

नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)- नाइट फ्रैंक इंडिया ने मंगलवार को अपनी प्रमुख छमाही रिपोर्ट- ‘इंडिया रियल एस्टेट’ का 10वां संस्करण लांच किया, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सस्ते घरों की मांग की मांग में सुधार हुआ है।

रिपोर्ट में जुलाई-दिसंबर 2018 (एच 2 2018) की अवधि के लिए आवासीय (आठ प्रमुख शहरों में) और ऑफिस (सात प्रमुख शहरों में) में बाजार के प्रदर्शन का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।

कहा गया है कि एनसीआर में आवासीय बाजार में कम टिकट के आकार और किफायती घरों की मांग में सुधार हुआ, खासकर ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में काफी मांग देखी गई है। कुल मिलाकर, किफायती आवास और कम मूल्य आकार की घरों को लेकर बाजार में सकारात्मक माहौल देखा गया। कमर्शियल वर्ग में को-वर्किं ग की अगुवाई में मांग में अच्छा सुधार दर्ज किया गया।

कार्यक्रम में नाइट फ्रैंक (नॉर्थ) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मुदस्सिर जैदी ने कहा कि एनसीआर में आवासीय बाजार का विश्लेषण स्पष्ट रूप से कम टिकट आकार और सस्ते घरों के वर्ग में नए लांच में फिर से उभार को को दर्शाता है। इस रुझान को विशेष रूप से ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में देखा गया है।

उन्होंने कहा कि 50 लाख से 1 करोड़ रुपये वर्ग मीटर के मध्य वर्ग में उपलब्ध आवास की ओर बाजार में बदलाव किया गया है। कमर्शियल बाजार ने एक बड़ी वापिसी दर्ज की है और इसका नेतृत्व को-वर्किं ग स्पेसेज में काम करने वाली कंपनियों ने किया है। को-वर्किं ग में काम करने वालों के साथ अन्य सर्विस सेक्टर ने लीजिंग गतिविधियों में एच2 2018 में 70 फीसदी बाजार हिस्सेदारी दर्ज की है।

विज्ञप्ति के अनुसार, एनसीआर के लिए आवासीय बाजार में मुख्य बदलाव इस प्रकार से रहें :

* एनसीआर में नए प्रोजेक्ट्स के लांच के अनुसार वर्ष 2018 में लांच किए गए यूनिटों की संख्या में 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, वहीं नए लांच में से 75 प्रतिशत यूनिटों को अकेले गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा में दर्ज किया गया।

* 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के मध्य वर्ग में नए लांच की फिर से शुरुआत देखी गई और मांग भी है।

* एनसीआर में बिक्री में मांग में 8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सुधार हुआ, जिससे बाजार में विश्वास बढ़ा।

* ऐसी प्रॉपर्टीज जो रेडी-टू-मूव हैं या पूरा होने वाले हैं, में खरीदारों से अधिक पूछताछ दर्ज की गई है।

* निवेशक की कम दिलचस्पी और 1 लाख से अधिक अनबिके यूनिटों की लटकती इन्वेंट्री ने कीमतों में वृद्धि को रोक रखा है। बाजार में 2013 से कीमतों में मंदी देखी जा रही है और तब से लेकर अब तक माहौल नहीं बदला है।

* ग्रेटर नोएडा फिर भी इस सस्ते घरों के माइक्रो बाजार से आने वाली कुल बिक्री के 50 प्रतिशत के साथ 2018 में मांग का एक बड़ा हिस्सा रखता है, वहीं क्रमश: गाजियाबाद और गुरुग्राम द्वारा 19 प्रतिशत और 17 प्रतिशत ने बाजार हिस्सेदारी के साथ दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है।