हिमाचल में कुष्ठ रोग उन्मूलन की कगार पर : धीमान

शिमला, 16 जनवरी (आईएएनएस)- हिमाचल प्रदेश में कुष्ठ रोग उन्मूलन के कगार पर है, क्योंकि प्रति 10,000 की आबादी पर प्रदेश में कुष्ठ रोग की प्रचलन दर एक मामले से भी कम है। हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों में इस रोग की दर निम्न है। अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य आर.डी. धीमान ने बुधवार को यहां कुष्ठ रोग पहचान अभियान पर राज्य समन्वय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कुष्ठ रोग का पूरी तरह से उपचार सम्भव है तथा यह क्षय रोग/हैपीटाईटस की तरह संक्रमण रोग नहीं है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि 30 जनवरी, 2019 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शहीदी दिवस पर स्पर्श-कुष्ठ जागरूकता अभियान आरम्भ किया जाएगा, जिसका समापन उनकी 150वीं जयंती पर 2 अक्तूबर, 2019 को होगा।

उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान राज्य के चयनित जिलो कांगड़ा, किन्नौर और मण्डी में कुष्ठ रोग से सम्बन्धित मामलों की पहचान की जाएगी, जबकि बिलासपुर, चम्बा और शिमला में केन्द्रित कुष्ठ अभियान शुरू किया जाएगा, जहां 2016-17 के दौरान श्रेणी-2 के मामले पाए गए थे।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 के दौरान राज्य में कुष्ठ रोग की प्रचलित दर राष्ट्रीय औसत 0.66 की तुलना में 0.19 थी इसी प्रकार राज्य में नए मामलों का पता लगाने की वार्षिक दर 1.76 थी, जो राष्ट्रीय संकेतकों 1.02 से बहुत अधिक थी। उन्होंने कहा कि राज्य में कुष्ठ रोग के बारे में बहुत अधिक जागरूकता है, क्योंकि राज्य में सूचना, शिक्षा और संचार (आईइसी) गतिविधियों के बढ़ते स्तर और शुरुआती जांच व उपचार की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

उन्होंने कहा कि अभियान का उद्देश्य जागरूकता पैदा करने के लिए आईईसी गतिविधियां रोग की प्रारम्भिक गतिविधियां, शीघ्र उपचार और कुष्ठ प्रभावित व्यक्तियों से जुड़े कलंक को कम करने पर होगा। कठिन क्षेत्रों में पाए गए संदिग्ध मामलों को जिला अस्पतालों में भेजा जाएगा, जिससे इन मामलों की पुष्टि हो सके।

स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. आर.के. बारिया ने कहा कि जागरूकता अभियान के दौरान यह परिकल्पना की गई थी कि राज्य के सभी ग्रामों/वाडरे एवं शहरी वाडरे में सभाओं का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य 2 अक्तूबर, 2019 तक वार्षिक श्रेणी-2 के मामलों में राष्ट्रीय स्तर पर प्रति मीलियन जनसंख्या में मामलों की दर को एक से कम लाना है।