क्या पिंपरी चिंचवड़ में खत्म हो गया है पुलिस का इक़बाल?

पुणे समाचार ऑनलाइन

मोहन दुबे 

पुणे से सटे पिंपरी चिंचवड़ में क्या पुलिस का इक़बाल ख़त्म हो गया है? ये सवाल अब पूछा जाने लगा है, क्योंकि शहर में हत्या, डकैती, लूटपाट जैसी संगीन वारदातों में लगातार इजाफा हो रहा है। बात केवल इतनी ही नहीं है, अपराधियों के हौसले अब इतने बुलंद हो गए हैं कि वो पुलिसकर्मियों भी निशाना बनाने लगे हैं। हाल ही में हिंजवड़ी और वाकड में पुलिस हवलदारों के साथ हाथापाई की गई थी, इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बावजूद इसके पुलिस की तरफ से सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही। पुलिस की निष्क्रियता को देखते हुए लोग अब ये भी कहने लगे हैं कि जब पुलिसकर्मी खुद ही सुरक्षित नहीं हैं तो जनता की सुरक्षा कैसे करेंगे?

वाहनों में तोड़फोड़ यहाँ आम हो चुकी है। अपराधी अब रात के अँधेरे में नहीं, बल्कि दिनदहाड़े वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। हालात ये हो चले हैं कि तड़ीपार अपराधी तक पुलिस स्टेशन के सामने हंगामा मचाते हैं और पुलिस कुछ नहीं कर पाती। मौजूदा वक़्त में पुलिस प्रशासन महज आयुक्तालय का गुणगान करने तक ही सीमित होकर रह गया है।हालांकि इतना ज़रूर है कि चेन स्नैचिंग की बढ़ती वारदातों पर लगाम लगाने के लिए शुक्रवार से ‘प्रवासी सुरक्षा अभियान’ की शुरुआत की गई है।

क्राइम रेट में इजाफा
पिंपरी चिंचवड़ में पिछले कुछ दिनों से क्राइम रेट में जबरदस्त इजाफा हुआ है। नाबालिग अपराधियों की बढ़ती फ़ौज ने भी पुलिस की नाक में दम कर रखा है। हाल ही में आदित्य खोत के अपहरण और हत्या के मामले ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया था। इसके अलावा अपराधियों के गैंग में होने वाली आपसी जंग भी शहरवासियों की परेशानी का सबब बन गई है। पिछले एक साल में अनगिनत गाड़ियों में तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे मामलों में पुलिस अपराधियों को हिरासत में लेती है, मगर नाबालिग होने का हवाला देकर कुछ देर में छोड़ देती है। जिससे उनके हौसले बढ़ते जा रहे हैं।

अब नींद नहीं खुली तो…
अधिकांश आपराधिक मामलों में पुलिस के हाथ खाली हैं। लोगों का कहना है कि यदि पुलिस ने समय रहते सख्ती दिखाई होती तो अपराधी इस तरह से सरेआम उत्पात मचाने की हिम्मत नहीं कर सकते थे। शहर के मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि अब भी पुलिस की नींद नहीं खुली तो आने वाले दिनों में स्थिति बद-से-बदतर हो जाएगी।