पटना. ऑनलाइन टीम : आज यक़ीन करना मुश्किल लगता है कि 1952 तक बिहार देश का सबसे सुशासित राज्य था और इसी बिहार में, जो 270 ईसा पूर्व में मगध था, सम्राट अशोक ने प्रशासन प्रणाली एक ढांचा विकसित किया था। आज समकालीन राजनीति में उसी बिहार का उल्लेख सबसे अराजक राज्य के रुप में होता है।
इसी बिहार ने आज़ादी के बाद का देश का अकेला जनआंदोलन खड़ा किया, लेकिन यही बिहार ग़रीबी और कुपोषण से लेकर राजनीति के अपराधीकरण तक के लिए बदनाम भी सबसे अधिक हुआ। राजनीतिक लिप्सा इस प्रदेश को हाशिये को हमेशा से ठेलती रही। बिहार की सियासत में उठा-पटक लगातार जारी है। ताजा घटनाक्रम में सबसे तगड़ा झटका लालू यादव की पार्टी को लगा है। राजद के के कई नामचीन चेहरे बुधवार को भाजपा में शामिल हो गये। इनमें सबसे प्रमुख चेहरा राजद के पूर्व सांसद सीताराम यादव हैं, जिन्हें लालू प्रसाद यादव का बेहद करीबी माना जाता रहा है।
देश के विपक्षी दल भरोसे के संकट से जूझ रहे हैं। जनता का भरोसा तो वे गंवा ही चुके हैं, अब अपनी पार्टी के नेताओं व कार्यकताओं का भी भरोसा खो रहे हैं। वंशवादी और परिवारवादी राजनीति का यही हश्र है। आज @BJP4Bihar कार्यालय में आरजेडी, कांग्रेस व रालोसपा नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ली। pic.twitter.com/dE82j92Y3P
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) January 27, 2021
पटना स्थित भाजपा कार्यालय में मिलन समारोह का आयोजन किया गया था। इसी समारोह में राजद के पूर्व सांसद रामदेव मांझी, पूर्व विधायक सुबोध पासवान, राजद के पूर्व विधायक दिलीप यादव, राजद के पूर्व महासचिव संतोष मेहता सहित कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के कई नेता और कांग्रेस के कई नेता आज भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। बताया जाता है कि ये सभी नेता तेजस्वी की कार्यप्रणाली से खफा थे। उन्हें लग रहा था कि पार्टी के लिए दिन-रात एक कर देने के बावजूद उन्हें वह स्थान नहीं मिला, जिसके हकदार वे खुद को समझ रहे थे।
बहरहाल, सभी बागी राजद नेताओं को बिहार भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव की उपस्थिति में संजय जायसवाल ने भाजपा की सदस्यता दिलाई। समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व बिहार के प्रभारी भूपेंद्र यादव, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, भाजपा के वरिष्ठ नेता राज्यसभा सांसद पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता गण उपस्थित थे।