Pune Crime | राष्ट्रपति पदक प्राप्त करने के लिए सरकारी यंत्रणा का दुरुपयोग और ठगी, पुणे पुलिस दल के गणेश जगताप सहित 2 क्लर्क के खिलाफ मामला दर्ज; मची खलबली

पुणे: Pune Crime | पुलिस दल में राष्ट्रपति पदक प्राप्त करना बहुत बड़ी  उपलब्धि मानी जाती है। इसके लिए आपका रिकॉर्ड साफ-सुथरा होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा आपको कोई सजा न मिली हो, यह मुख्य शर्त है। एक पुलिस हवलदार ने राष्ट्रपति पदक पाने के लिए पुलिस उपायुक्त कार्यालय के क्लर्क को भरोसे में लेकर फर्जी रिकॉर्ड बनाकर सरकार के साथ ठगी की है। इस मामले में इस हवलदार के साथ 4 के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

सेवा पुस्तिका में सजा लगे पेज को फाड़कर दूसरा पेज चिपकाने का खुलासा जांच में हुआ है। हवलदार गणेश अशोक जगताप (नियुक्ति-विशेष शाखा), कनिष्ठ श्रेणी कलर्क नितेश अरविंद आयनूर (पुलिस उपायुक्त कार्यालय की गुप्त शाखा), वरिष्ठ श्रेणी लिपिक रवींद्र धोंडिबा बांदल (वर्त्मान पुलिस आयुक्त कार्यालय), साथ ही वानवडी पुलिस थाने में 2019 में नियुक्त हुए डे बुक अंमलदार व गणेश अशोक जगताप के साथी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

इस मामले में वरिष्ठ क्लर्क संतोष प्रतापराव भोसले ने वानवडी पुलिस थाने में शिकायत दी है। यह घटना पुलिस उपायुक्त परिमंडल 5 के कार्यालय में 26 जुलाई 2017 से 29 जनवरी 2020 के बीच हुई है।

इस बारे में दी गई जानकारी के अनुसार हवलदार गणेश जगताप 2017 से 2020 के दौरान वानवडी पुलिस थाने में नियुक्त थे। उनके काम में गलती की वजह से 2 साल तक इंक्रीमेंट रोकने की सजा मिली थी। यह सजा 13 फरवरी 2018 को दी गई थी। राष्ट्रपति पदक प्राप्त करने की के लिए सजा रुकावट बन रही थी। इसलिए उसने कार्यालय के गुप्त शाखा के कनिष्ठ श्रेणी क्लर्क नितेश आयनूर, वरिष्ठ श्रेणी के क्लर्क रवींद्र बांदल की मदद से साजिश रचकर सेवा पुस्तक से पेज हटाकर फर्जी दस्तावेज तैयार किया। इस पर फर्जी साइन कर, सरकारी मुहर का इस्तेमाल कर गैरकानूनी कागजात तैयार किया।

जगताप को 13 फरवरी 2018 को सजा हुई थी। उसकी अमलबाजी करने के लिए जिम्मेदार वानवडी पुलिस थाने में नियुक्त डे बुक अंमलदार की थी। उसने सजा की अमलबाजी न करते हुए जगताप को मदद की, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। राष्ट्रपति पदक के लिए हमारा काम सही है, ऐसा लगने पर हर पुलिस कर्मचारी और अधिकारी वरिष्ठ के पास आवेदन कर सकते हिअं। इसके अनुसार गणेश जगताप पिछले कुछ वर्षों से आवेदन कर रहा था। जगताप ने इस बार भी राष्ट्रपति पदक के लिए आवेदन किया था। उसमें किसी भी प्रकार की सजा नहीं हुई है अथवा जांच लंबित होने का प्रतिज्ञापत्र देना पड़ता है। इसकी जांच के दौरान पता चला कि सेवा पुस्तक में दूसरा पेज जोड़ा गया है। उसके बाद गणेश जगताप और उसका साथ देनेवाले कलर्क, डे बुक अंमलदार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

 

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