तालीम पद्धति से कथक सीखने-सिखाने की लुप्त होती जा रही परंपरा को जीवित रखने का कार्य -अश्विनी कुमार

पुणे। सँवाददाता : तालीम पद्धति से कथक सीखने-सिखाने की लुप्त होती जा रही परंपरा को जीवित रखने का अनूठा कार्य नर्तन संस्था कर रही है। किसी भी शिष्य को तुरंत मंच न देने और परीक्षा प्रणाली पर जोर न देते हुए ‘कला, कला के लिए’ इस बात को यहां प्रश्रय दिया जाता है। यह अनुकरणीय पहल है, यह उद्गार मुंबई दूरदर्शन के कार्यक्रम निदेशक अश्विनी कुमार ने व्यक्त किए।
गिरजा शंकर विहार कोथरूड़ के सभागार में गुरु सोनाली चक्रवर्ती और उनकी शिष्याओं ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अश्विनी कुमार ने सभी कलाकारों का उत्साह वर्धन किया। ‘नमन’ नाम से प्रस्तुत इस आयोजन को उसी पवित्र भाव से किया गया था जैसे कोई यज्ञ किया जाता है। विशेष अतिथि पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबा जीवन जीने वाले मा.कृ. पारधी जी, तबले के क्षेत्र में अपना नाम स्थापित करने वाले दत्तात्रय भावे, प्राणिक हीलिंग से जुड़ी ललिता भट तथा नृत्य की तालीम हासिल करने वाली व भावगीत के अग्रज रहे स्व. गजानन वाटवे की बहु बनने का सम्मान पाने वाली अर्चना वाटवे थी।
निमंत्रण पत्रिका में दिव्य यज्ञ की तरह कथक को प्रस्तुत किए जाने के बारे में लिखा गया था और दर्शकों को उसकी साक्षात् अनुभूति भी हुई। राग यमन में गणेश वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। तदुपरांत विष्णु वंदना, राम वंदना एवं कृष्ण द्वारा किए गए कालिया मर्दन को प्रस्तुत किया गया। लखनऊ घराने की गुरु सोनाली चक्रवर्ती ने अद्धनारीनटेश्वर की प्रस्तुति से ताल और लय पक्ष के नए आयाम रखे। तदुपरांत शुद्ध ताल पक्ष प्रस्तुत किया गया। राग यमन की गुरु वंदना से प्रारंभ करते हुए उठान को पेश किया गया। उसके बाद ठाट किया गया। तदुपरांत विलंबित और मध्य लय में आमद हुई। उससे ही लगकर आई तबले की एक परन। इसके बाद उठान लेकर द्रुत लय में प्रवेश किया गया। द्रुत लय में गणेश परन हुई। तोड़ा, तिहाई, कवित्त आदि के बाद गोवर्धन लीला दिखाई गई और अंत में लड़ी हुई।

अमीर खुसरो के कलाम ‘यारे मन बिया बिया’ से कार्यक्रम विराम पर पहुंचा। गुरु सोनाली चक्रवर्ती एवं उनकी शिष्याओं रसिका भावे, प्रियांका कारे, ऐश्वर्या लंके, शलाका करंदीकर, चिन्मयी रहाणे, जान्हवी रहाणे, साराक्षी पुराणिक तथा माही जोगदेव ने नृत्य प्रस्तुति दी। संगतकार तबले पर ऋषिकेश भावे, स्वर एवं हारमोनियम पर संकेत लोहोकरे, पखावज पर ओंकार पाटील तथा बांसुरी पर आदित्य गोगटे थे। इस अवसर पर अभिभावक के तौर पर रोहिणी रहाणे ने विचार रखे। प्रारंभ में दीप प्रज्ज्वलन के साथ सरस्वती पूजन एवं सद्गुरु के चरणों में नमन किया गया। संचालन स्वरांगी साने ने किया। सुदूर अमेरिका से सोनाली चक्रवर्ती के हर कार्यक्रम में उपस्थित रहने वाली शीला सिल्वर एवं जॉन सिल्वर, अपर्णा कडसकर, सौरभ पाटिल, रिया भावे, वंदना साबले, आशु गुप्ता, नंदिनी नारायण, माया मीरपुरी, मीरा बजाज, मंजू चोपड़ा सहित बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित थे।