लालबत्ती कार में घूमने वाली यह राजमंत्री, आज चरा रही है बकरियां, जानें क्यों?

शिवपुरी: समाचार ऑनलाइन– कहा जाता है इंसान की किस्मत कभी भी पलट सकती है. वह इंसान को कभी  आसमान की ऊँचाइयों तक पहुंचा दे, तो कभी जमीन पर गिरा दे. हाल ही में इसी का एक जीता जागता उदाहरण मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले से सामने आया है. यहां की एक आदिवासी महिला, जो कि जूली आदिवासी के नाम से जानी जाती है, कभी लालबत्ती में घुमा करती थी. लेकिन आज गांववालों की बकरिया चराने को मजबूर है.

बता दें कि जूली आदिवासी वर्ष 2005 में जिला पंचायत सदस्य बनी और इसके बाद वें जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंची. इस दौरानवें अपनी अधिकारीयों की टीम के साथ लालबत्ती में पूरे क्षेत्र का दौरा किया करती थी. उस समय उनकी दो लड़कियों और तीन लडकों का एडमीशन अधिकारियों ने प्रायवेट स्कूल में करवा दिया था, यहां तक की उन्हें घर पर पढ़ाने के लिए  टीचर भी आता था. लेकिन वर्तमान में ये ही बच्चे गरीबी की मार झेल रहे हैं और मजदूरी करने को मजबूर हैं.

कल तक बड़े बड़े अधिकारी-कर्मचारी उन्हें ‘मैडम’ कह कर जी-हजूरी करते थे, लेकिन आज वह अपना और अपने बच्चों का पेट पालने के लिए जंगलों में नंगे पांव बकरियाँ चरा रही है. जब जूली आदिवासी से इस बारे में पूछा गया तो वह दुखी होकर बोलती है कि, आज मैं इस लायक भी नहीं रही कि अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भी पढ़ा सकूं. वह आगे बताती है कि, पेट पालने के लिए आज गांववालों की लगभग 50 से अधिक बकरियों को चराने ले जाती हूं, जिसके बदले प्रति बकरी पर हर महीने 50 रुपए मिल जाते हैं.

फ़िलहाल शिवपुरी जिले की बदरवास जनपद पंचायत के ग्राम रामपुरी की लुहारपुरा बस्ती में रह रही जूली आदिवासी रुंधे गले से कहती है कि, पद पर रहते हुए मैंने क्षेत्र व् जनता के लिए कई अच्छे काम किए, लेकिन आज हमारी सूद लेने वाला कोई नहीं है.