आज भाई-दूज व चित्रगुप्त पूजा…बहनें देंगी आशीष, करेंगी लंबी आयु और समृद्धि की कामना

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम   : भाई दूज का त्योहार देशभर में आज 16 नवंबर 2020 यानी सोमवार को मनाया जाएगा। भाई दूज हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें व्रत, पूजा और कथा आदि करके भाई की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करते हुए माथे पर तिलक लगाती हैं।  इस बार भाई दूज का टीका शुभ मुहूर्त दिन 12:56 से 03:06 तक है।

आज चित्रगुप्त भगवान की भी पूजा की जाएगी। चित्रगुप्त हिंदुओं के प्रमुख देवता माने जाते हैं। पुराणों के मुताबिक, चित्रगुप्त अपने दरबार में मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा कर न्याय करते थे। व्यापारी वर्ग के लोगों के लिए यह दिन नए साल की शुरुआत जैसा है। इस दिन नए बहीखातों पर ‘श्री’ लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है।  चित्रगुप्त जी का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ था। इनका कार्य प्राणियों के कर्मों के हिसाब किताब रखना है। मुख्य रूप से इनकी पूजा भाई दूज के दिन होती है। इनकी पूजा से लेखनी, वाणी और विद्या का वरदान मिलता है।

भाई-दूज की पौराणिक कहानी इस प्रकार है- 
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना ने यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।