सरपंचों का चयन अब नागरिक नहीं ग्राम पंचायत सदस्य करेंगे

मुंबई : समाचार ऑनलाइन – सरपंच का चयन अब नागरिकों द्वारा नहीं बल्कि चुने गए सदस्यों द्वारा किए जाने का निर्णय बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया. इसके लिए महाराष्ट्र ग्रामपंचायत अधिनियम की 7, 13, 15, 35, 38, 43, 62 प, 62अ आदि धाराओं में संशोधन तथा 30अ, 1ब एवं 145-1अ आदि धाराओं के नए सिरे से समावेश के प्रस्ताव तथा खर्च के विवरण के विषय में संशोधित टाइम-टेबल में पुन: बदलाव के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई. संबंधित अधिनियम में बदलाव हेतु अध्यादेश जारी किया जाएगा.

राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जारी अत्याधुनिक शिक्षा पद्धति में बदलाव को दृष्टि में रखते हुए उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के अध्यापकों व प्राचार्यों के प्रशिक्षण हेतु कंपनी अधिनियम के अनुसार विकास संस्था की स्थापना के विषय में पेश किए गए प्रस्ताव को कुछ संशोधनों के साथ मंजूरी दी गई. इस संस्था को स्वायत्तता दिए जाने हेतु इसकी स्थापना कंपनी अधिनियम के अंतर्गत की जाएगी. इसमें राज्य सरकार का हिस्सा 40%, महाराष्ट्र राज्य तकनीकी शिक्षा मंडल का हिस्सा 5%, राज्य की सभी विद्यापीठों का हिस्सा 40%, शैक्षणिक संस्थाओं व उद्योगों का 5% तथा स्वयंसेवी संस्थाओं व व्यावसायिक संस्थाओं का 10% हिस्सा रहेगा.विद्यापीठों तथा कॉलेजों व संस्थाओं से सदस्यता शुल्क लिया जाएगा तथा कॉर्पोरेट व बिजनेस हाउस से प्राप्त होने वाले पैसे का कॉर्पस फंड तैयार किया जाएगा. इस प्रशिक्षण संस्था के संचालन हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रशासकीय समिति गठित की जाएगी.

इस संस्था के कार्यों में उच्च शिक्षा देने वाली संस्थाओं में शिक्षकों को उद्योग/व्यवसाय व उनसे संबंधित क्षेत्र की अप-टू-डेट जानकारी देना, स्टूडेंट्स की शैक्षणिक गुणवत्ता में हुए बदलाव के आधार पर प्रशिक्षण पद्धति में जरूरत के अनुसार बदलाव करना, उद्योग क्षेत्रों में उपलब्ध रोजगार के अवसरों के आधार पर नए पाठ्यक्रम विकसित कर उसे लागू करने हेतु शैक्षणिक संस्थाओं का मार्गदर्शन करना, शैक्षणिक गुणवत्ता में वृद्धि के लिए प्रभावशाली पद्धति का विकास करना, शैक्षणिक दृष्टि से प्रगत देशों व अन्य राज्यों की शैक्षणिक पद्धति की स्टडी कर अप-टू-डेट व रोजगाराभिमुख पद्धति की सिफारिश करना या सरकार को सलाह देना आदि का समावेश है. संस्था में पाठ्यक्रम एवं अध्यापनशास्त्र, अत्याधुनिक तकनीक, नेतृत्व विकास, बहु अनुशासनात्मक अध्यापक समूह तथा इनोवेटिव शिक्षा आदि 5 उत्कृष्टता केंद्र प्रस्तावित हैं. शिक्षा को लेकर दुर्बल वर्ग, महिलाओं व दिव्यांग नागरिकों के लिए संवेदनशीलता पैदा करना ही इन केंद्रों का उद्देश्य है.

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