भाजपा को भारी न पड़ जाए येदियुरप्पा की नाराज़गी

बेंगलुरु: कर्नाटक में कमल खिलाने की कोशिशों में लगे अमित शाह और नरेंद्र मोदी नई मुश्किल में फंस गए हैं। जीत की आस में भाजपा ने टिकट बंटवारे में रेड्डी बंधुओं के समर्थकों पर रहमत बरसाई थी और अब वही रहमत येदियुरप्पा के रूप में मुसीबत बनकर सामने आ गई है। दरअसल जब से वरुणा सीट से येदियुरप्पा के बेटे का टिकट कटा है तब से वे नाराज़ हैं। इस सीट पर सिद्धारमैया के बेटे यतीन्द्रा के खिलाफ उनके बेटे को मैदान में उतरना था।  येदियुरप्पा की नाराज़गी का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि वो 26अप्रैल को अमित शाह द्वारा बेंगलुरू में बुलाई गई गुप्त बैठक में शामिल नहीं हुए थे। हालांकि उन्होंने शुक्रवार को अमित शाह से मिलकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। येदियुरप्पा को यह बात नागवार गुजरी है कि जब उनके बेटे विजयेन्द्र प्रचार कर रहे थे तब कुछ नहीं कहा गया और आखिरी पल उनका टिकट काट दिया गया।

 समर्थकों में गुस्सा
विजयेन्द्र के समर्थक भी भाजपा आलाकमान के इस फैसले से काफी नाराज़ है। जब  येदियुरप्पा ने ऐलान किया था कि विजयेन्द्र वरुणा से चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि उनकी जगह पार्टी के किसी आम सदस्य को मौका दिया जाएगा। तो  विजयेन्द्र के समर्थक गुस्से में बेकाबू हो गए थे और पुलिस को उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठी चार्ज का सहारा लेना पड़ा था। यह गुस्सा चुनाव में भाजपा का खेल बिगाड़ सकता है, क्योंकि हार-जीत के खेल में एक-एक वोट मायने रखता है।

एक फ़ोन आया और...
खबर तो यह भी है कि येदियुरप्पा को दिल्ली से एक फोन आया था। उनसे सवाल किया गया कि विजयेन्द्र पर्चा भरने की तैयारी में क्यों हैं जबकि उनके नाम पर अभी अंतिम मुहर ही नहीं लगी है। उसके बाद विजयेन्द्र का नाम हट जाने से येदियुरप्पा नाराज़ हो गए।
वरुणा सियासी रूप से बहुत ही अहम सीट है क्योंकि येदियुरप्पा के बेटे विजयेन्द्र मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे डॉ यतीन्द्र से टक्कर लेने वाले थे। सिद्धारमैया ने ये सीट खास तौर पर अपने बेटे के लिए खाली की थी और खुद पड़ोस के चामुंडेश्वरी और बादामी से चुनावी मैदान में उतरे हैं। वरुणा से सिद्धारमैया दो बार जीत चुके हैं।