Zeal Education Society | झील शिक्षण संस्था के संभाजी काटकर, चंद्रकांत कुलकर्णी, युवराज भंडारी को पुलिस कस्टडी

पुणे : 4 करोड़ 92 लाख रुपये की ठगी ममाले (Fraud Case) में झील एजुकेशन संस्था (Zeal Education Society) के संस्थापक अध्यक्ष  संभाजी काटकर (Sambhaji Katkar) सहित तीन को आर्थिक क्राइम ब्रांच (Economic Crime Branch) ने गिरफ्तार (Arrest) किया। इसके बाद उन्हें प्रथमवर्ग न्यायदंडाधिकारी ने न्यायिक कस्टडी  (Judicial Custody) में रखने का आदेश दिया था। हालांकि क्राइम की जांच को गहराई को देखते हुए आर्थिक क्राइम ब्रांच ने सत्र न्यायालय (Sessions Court) में इसे चुनौती दी थी। इसपर सुनवाई के बाद सत्र न्यायालय ने कहा कि प्रथम वर्ग न्यायालय को क्राइम का दायरा पता नहीं था, ऐसा स्पष्ट करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एच.आर. वाघमारे (Judge H.R. Waghmare) ने तीनों को 7 फरवरी तक पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश दिया (Zeal Education Society) है।

 

संभाजी मारुती काटकर (Sambhaji Maruti Katkar) (उम्र 65, नि. राजमहल, हिंगणे खुर्द), चंद्रकांत नारायण कुलकर्णी (Chandrakant Narayan Kulkarni) (उम्र 58, नि. अशोका आगम, दत्तनगर, कात्रज), युवराज विठ्ठल भंडारी ( Yuvraj Vitthal Bhandari) (उम्र 35, नि. जंभुलवाडी, आंबेगांव खुर्द) गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम हैं।

 

संभाजी काटकर झील शिक्षण संस्था (Zeal Education Society) के अध्यक्ष हैं। चंद्रकांत कुलकर्णी झील पॉलिटेक्निक कॉलेज (Lake Polytechnic College) के तत्कालीन प्राचार्य, वहीं भंडारी ऑडिटर हैं। ढगे इस संस्था के कार्यालयीन अधीक्षक के रूप में काम करता था। इन चार लोगों ने मिलकर यह अपराध किया। ढगे ने जब काम छोड़ा तो अपनी बकाया राशि के लिए संस्था के खिलाफ सिंहगड रोड पुलिस थाने (Sinhgad Road Police Station) में शिकायत दी थी। उसी समय काटकर व उसके साथियों ने ढगे के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज कराया था उसके बाद ढगे को गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद आर्थिक क्राइम ब्रांच ने समांतर जांच किया, उसमें आर्थिक गड़बड़ी सामने आई।

 

झील पॉलिटेक्निक कॉलेज के 2015-16 वर्ष के शुल्क मंजूरी का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था। इस प्रस्ताव में प्रत्यक्ष रूप से 147 लोग नौकरी पर थे, उसके बाद भी संदिग्ध आरोपी ने मिलीभगत कर पूर्व छात्र व संस्था के कर्मचारी कुल मिलाकर 191 कर्मचारी कार्यरत हैं, ऐसे झूठे पेपर प्रस्तुत किया। इसके माध्यम से फर्जी सैलरी शीट (Fake Salary Shee) तैयार कर खर्च की रकम ज्यादा दिखाकर प्रस्ताव शुल्क मंजूरी के लिए सरकार के शुल्क निर्धारण समिति के पास भेजकर पैसे मंजूर कर सरकार के साथ ठगी (Fraud) की है। नौकरी के संदर्भ में जब पूर्व छात्रों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होने कभी भी झील संस्था में नौकरी नहीं की है।

 

इसलिए सत्र न्यायालय को चुनौती

 

प्रथमवर्ग न्यायालय के आदेश को आर्थिक क्राइम ब्रांच ने सत्र न्यायालय में चुनौती दी| अतिरिक्त सरकारी वकील (Additional Public Prosecutor) ने अपना पक्ष रखते हुए झील पॉलिटेक्निक कॉलेज के 2015-16 के शुल्क नियामक प्राधिकरण (Fee Regulatory Authority) के पास प्रस्तुत किए गए वार्षिक ऑडित रिपोर्ट में वेतन पर 8 करोड़ 72 लाख रुपये खर्च दिखाया था। हालांकि ऑडिटर द्वारा 19 अक्टूबर 2017 में दिए पत्र पर 2015-16 में वेतन पर 4 करोड़ 25 लाख 29 हजार खर्च दिखाया है। अर्थात 4 करोड़ 46 लाख रुपये ज्यादा की दी गई जानकारी को सत्र न्यायालय में चुनौती दी गई है।

 

और जांच की जरूरत

 

इस रकम का विनियोग कहाँ की, इसकी जांच करने के लिए नौकरी में न होने के बाद भी नौकरी में कार्यरत दिखाया गया। इसका फर्जी प्रमाणपत्र (Fake Certificate) कहाँ से बनवाया, इसकी जांच करनी है। सेलरी शीट पर फर्जी स्टाफ व छात्र को स्टम्प लगाकर सैलरी देने की बात दिखाई गई है। झील एजुकेशन (Zeal Education) के अन्य शैक्षणिक संस्था में भी इसी तरह से वेतन बढ़ाकर दिखाया गया है, उसी आधार पर छात्रों  के अभिभावक और सरकार की ओर से फी लेने की संभावना की भी जांच करनी है।

 

इसक  मूख्य सूत्रधार कौन है? इन सब बातों की जांच की जानी है। इसलिए तीनों की 7 दिन की पुलिस कस्टडी की मांग एड. कावेडिया ने की। उनके तर्क पर सहमत होते हुए 7 दिन की पुलिस कस्टडी दी गई है। आगे की जांच पुलिस निरीक्षक दत्तात्रय भापकर (Police Inspector Dattatray Bhapkar) कर रहे हैं।

 

 

 

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