अगले 1 साल में 73 प्रतिशत भारतीय कंपनियों को ग्राहक डेटा उल्लंघन का खतरा

बेंगलुरु, 10 अगस्त (आईएएनएस)। भारत में लगभग 73 प्रतिशत संगठनों या कंपनियों को अगले 12 महीनों में डेटा उल्लंघन का अनुभव होने की उम्मीद है, जो अगले 12 महीनों में ग्राहकों के डेटा को प्रभावित करेगा। एक नई रिपोर्ट में मंगलवार को यह अंदेशा जताया गया है।

वैश्विक साइबर सुरक्षा लीडर ट्रेंड माइक्रो के अनुसार, भारतीय संगठनों ने एक हमले के शीर्ष तीन नकारात्मक परिणामों को खोए हुए आईपी, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की क्षति/व्यवधान और बाहरी सलाहकारों एवं विशेषज्ञों के नुकसान के रूप में स्थान दिया है।

ट्रेंड माइक्रो के कंट्री मैनेजर (इंडिया एंड सार्क), विजेंद्र कटियार ने कहा, एक बार फिर, हमने परिचालन और बुनियादी ढांचे के जोखिम से लेकर डेटा सुरक्षा, खतरे की गतिविधि और मानव-आकार की चुनौतियों तक सीआईएसओ को रात में जगाए रखने के लिए बहुत कुछ पाया है।

सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से लगभग 57 प्रतिशत भारतीय संगठनों ने कहा है कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि अगले 12 महीनों में उन पर गंभीर साइबर हमले होंगे।

जबकि नेटवर्क/सिस्टम में घुसपैठ से संबंधित 34 प्रतिशत को 7 से अधिक साइबर हमलों का सामना किए जाने की बात कही गई है, वहीं 20 प्रतिशत ने संपत्ति के 7 से अधिक उल्लंघनों का सामना किए जाने की पुष्टि हुई है।

उत्तरदाताओं में से 30 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें पिछले एक साल में ग्राहक डेटा के 7 से अधिक उल्लंघनों का सामना करना पड़ा है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में हाइलाइट किए गए शीर्ष साइबर खतरों में रैंसमवेयर, वाटरिंग होल अटैक, बॉटनेट, दुर्भावनापूर्ण अंदरूनी सूत्र और उन्नत लगातार खतरे (एपीटी) शामिल रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बुनियादी ढांचे के लिए शीर्ष सुरक्षा जोखिमों में दुर्भावनापूर्ण अंदरूनी सूत्र, क्लाउड कंप्यूटिंग अवसंरचना और प्रदाता, संगठनात्मक मिसलिग्न्मेंट और जटिलता के साथ-साथ लापरवाह अंदरूनी सूत्र शामिल हैं।

कटियार ने कहा, साइबर जोखिम को कम करने के लिए, संगठनों को बुनियादी बातों पर वापस जाकर, सबसे अधिक जोखिम वाले महत्वपूर्ण डेटा की पहचान करके, उन खतरों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो उनके व्यवसाय के लिए सबसे ज्यादा मायने रखते हैं और व्यापक रूप से जुड़े प्लेटफार्मों से बहुस्तरीय सुरक्षा प्रदान करते हैं।

–आईएएनएस

एकेके/आरजेएस