केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे लेकर उचित आदेश देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व का है।
इस पर प्रधान न्यायाधीश एस.ए.बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मामला महत्वपूर्ण है, लेकिन इस पर तुरंत सुनवाई करना जरूरी नहीं है। बाद में कोर्ट अगले सप्ताह इस मामले को सुनने के लिए सहमत हो गई है।
79 वर्षीय नारायणन केरल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिन्होंने उन पर 1994 में पाकिस्तान का जासूस होने का आरोप लगाया था। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पैनल की नियुक्ति करने के अलावा केरल सरकार को नारायणन को मुआवजे के तौर पर 50 लाख रुपये देने का निर्देश भी दिया था।
इसरो जासूस मामला 1994 में तब सामने आया था जब नारायणन को इसरो के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी, मालदीव की 2 महिलाओं और एक व्यापारी के साथ जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
सीबीआई ने पाया था कि नारायणन की गैर-कानूनी गिरफ्तारी के लिए केरल में तत्कालीन शीर्ष पुलिस अधिकारी जिम्मेदार थे। इसके बाद पैनल ने उन परिस्थितियों की जांच की, जिनमें नारायणन की गिरफ्तारी की गई थी। उन पर आरोप लगाया गया था कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों को विदेशों के साथ साझा किया है।
नारायणन ने कहा था कि केरल पुलिस ने इस मामले को गढ़ा और जिस तकनीक का इस्तेमाल करके चोरी करने का आरोप लगाया गया था, उस समय वह तकनीक मौजूद ही नहीं थी।
–आईएएनएस
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