गुरजंत ने कहा, बेल्जियम और नीदरलैंड्स जैसी शीर्ष टीमों के खिलाफ खेलना मेरे लिए अच्छा था। मुझे लगता है कि अपनी भूमिका को बेहतर बनाने और इसे क्रियान्वित करने के लिए मैं और अधिक कर सकता हूं। ये अगले कुछ महीने मेरे लिए महत्वपूर्ण होंगे और मुझे उम्मीद है कि ओलंपिक से पहले मैं खुद को साबित कर सकता हूं।
छह सप्ताह के ब्रेक के बाद भारतीय टीम अगस्त की शुरुआत से ही बेंगलुरु के साई सेंटर में बायो बबल में रह रही है। गुरजंत का मानना है कि टीम साथियों के साथ रहने से यह आसान हो गया है।
2016 में एफआईएच जूनियर पुरुष विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहे फॉरवर्ड ने कहा, रुटीन सेट करना और बायो बबल में रहना आसान नहीं है। नियम काफी कठिन है और ये किसी भी खिलाड़ी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
उन्होंने कहा, हम इसे बिना टीम-बॉन्डिंग के साझा नहीं कर सकते थे और जो सहयोग हमें कोचिंग स्टाफ से मिला है, जो पिछले नौ महीनों से खुद कैंपस से बाहर नहीं आया है। वे घर से बाहर हमारे परिवार की तरह हो गए हैं।
–आईएएनएस
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