तबला बचपन से ही मेरा दोस्त है : जाकिर हुसैन

नई दिल्ली, 11 जनवरी (आईएएनएस)| विश्व प्रसिद्ध क्लासिकल तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन ने कहा है कि तबला बचपन से ही उनका दोस्त बना हुआ है। उनका मानना है कि पूरी दुनिया में तबले की जबरदस्त मांग है और इसकी सबसे अधिक प्रतिभाएं भारत में हैं।

जाकिर हुसैन ने आईएएनएस के सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, “मैं और मेरा तबला तभी से दोस्त हैं जब मैं बच्चा हुआ करता था। यह मेरे लिए काम नहीं है। यह एक खेल है, बेहद मजेदार। और, यह वह सर्वश्रेष्ठ खेल है जिसका हिस्सा मैं हो सकता था।”

67 वर्षीय हुसैन ने कहा, “यह मेरा सबसे शानदार खिलौना है। यह दोस्त है, प्रेम करने वाला है, बहन है, भाई है..यह सभी कुछ है और यह रिश्ता एक तरह से गहरा होता गया है।”

आठ साल के अंतराल के बाद गुरुवार शाम को जाकिर हुसैन ने श्रीराम भारतीय कला केंद्र में संगीत प्रेमियों के बीच तबला वादन किया।

पद्म भूषण से सम्मानित जाकिर हुसैन के गुरु उनके पिता प्रख्यात तबला वादक अल्ला रक्खा थे। उन्होंने तबला बजाने की कला अपने पिता को तबला बजाते देखते हुए सीखी।

जाकिर की घर-घर में बनने वाली एक पहचान उनके ताजमहल चाय का ‘वाह ताज कहिए’ विज्ञापन से भी बनी। मुंबई में पैदा हुए विश्वविख्यात तबला वादक का कहना है कि उनकी प्रसिद्धि में भाग्य के साथ इस विज्ञापन का भी बड़ा हाथ है। उन्होंने कहा, “लोग चेहरा पहचान लेते हैं..अरे यह तो वही हैं.वाली बात। इससे बहुत फायदा हुआ।”

समकालीन विश्व संगीत अभियान के मुख्य शिल्पी में शुमार किए जाने वाले जाकिर हुसैन का मानना है कि वह सौभाग्यशाली हैं कि उनके सुनने वाले उनके साथ बने रहे और दशकों में उन्होंने एक तरह के सपोर्ट ग्रुप का निर्माण किया।

विनम्र तबला वादक अपने सहयोगियों और संगीत जगत साथियों से मिलने वाले मजबूत समर्थन का जिक्र करना भी नहीं भूलते। वह खुद को एक आम तबला वादक बताते हैं और कहते हैं कि वह कोई कैलाश पर्वत की चढ़ाई नहीं कर रहे हैं, वह तो केवल अपने पहले और आखिरी प्यार.तबले के साथ लगे हुए हैं।

विश्व में तबले की बढ़ती लोकप्रियता का जिक्र करते हुए हुसैन ने कहा, “देश के संगीत जगत में सर्वाधिक प्रतिभाएं तबले से जुड़ी हुईं हैं।”