महाराष्ट्र समेत 11 राज्यों में लोकसभा के साथ हो सकते हैं चुनाव

नई दिल्ली। समाचार एजेंसी
वन नेशन वन इलेक्शन की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने आनेवाले लोकसभा चुनाव के साथ 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने का फैसला किया है। सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र समेत तीन राज्यों में मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। लोकसभा के साथ जिन 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने की संभावना जताई जा रही है उनमें महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड मध्यावधि चुनाव के संकेत हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के चुनाव आगे किये जा सकते हैं जबकि तेलंगाना, ओडिशा और आंध्रप्रदेश के चुनाव अगले साल मई में ही होने हैं। इन राज्यों में मई 2019 में लोकसभा के साथ चुनाव होने के संकेत मिले हैं।
मोदी सरकार शुरू से ही एक देश एक चुनाव का समर्थन करते आई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार जिन 11 राज्यों में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं उनके लिए कानून में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के पहले या बाद के छह माह में होने हैं, वहां एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं। हांलाकि इसके लिए निर्वाचन आयोग, केंद्र और राज्य सरकार में आम सहमति बनना जरूरी है। गौरतलब हो कि लॉ कमीशन भी एकत्रित चुनाव का विचार कर रहा है, इस बारे में अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले हाल ही उसने सभी राजनीतिक दलों की राय भी जानी थी।
इस पृष्ठभूमि पर सोमवार को ही भाजपा हाइकमान अमित शाह ने लॉ कमीशन को पत्र सौंपकर देश मे लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की मांग की है। उन्होंने एक देश एक चुनाव का समर्थन करते हुए इससे चुनाव पर होनेवाले भारी खर्च की बचत हो सकने का दावा किया है। शाह ने तर्क देते हुए यह भी कहा कि एक साथ चुनाव कराने से ख़र्च में बचत के साथ ही संघीय स्वरूप मजबूत होगा। एकत्रित चुनाव देश के संघीय स्वरूप के खिलाफ है, यह आरोप आधारहीन है। एकसाथ चुनाव का विरोध राजनीतिक है, यब दावा भी उन्होंने किया है। इसी मुद्दे पर शाह के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल ने आज लॉ कमीशन से मिलकर पत्र सौंपा। इस प्रतिनिधि मंडल में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक्वी, भूपेंद्र यादव औऱ अनिल बलूनी शामिल थे।